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________________ न. १३. शास्त्री हरिदत करुणाशंकरनो अभिप्राय. आस्तिकवर्ग विभूषण रा. रा. प्राणजीवन, चीफ मेडिकल ऑफिसर धर्मपुर स्टेट, आपनुं छापेलं पत्र ता. १४-९-९४ ने रोज रवाना करेल्लुं मने ता. १७-९-९४ ने रोज सायंकाले मळ्युं छे. आपनी अहिंसा धर्ममां सारी रुचि जांणी चित्त प्रसन्न थयुं छे. भापना लखेला प्रश्नोनुं उत्तर सविस्तर आपवा अधिक कालनी अपेक्षा छे. तथापि आपे सत्वर उत्तर आपवा जणावेलुं छे. माटे टुंकी मुदतना प्रमाणमां टुंकामां पण खुलासावार मापना प्रश्नोनो अनुक्रमे उत्तर आपुं छं. ते उपर लक्ष आपशो. १ - आ प्रकारनी र्हिसानुं प्रतिपादन देवीभागवत, कालिकापुराण, रुद्रयामल तथा डामरतंत्र आदि तंत्रग्रन्थो तथा दुर्गाभक्तितरंगीणी आदि शास्त्रग्रंथोमां छे. २ - आ जातिना ग्रन्थो दुर्गाना उपासनाओ मां मान्य गणाय छे. सर्व आर्य प्रजामां मान्य गणाता नथी. कारण के आ एक पोतपोतानो कुलाचार छे. माटे जेओना कुलमां उपास्य स्वदेव दुर्गा छे, ते कुलना पुरुषोने उपरना ग्रंथो प्रमाणभूत छे. देवीना भक्तो पण बे प्रकारना छे. एक वाममार्गी तथा बीजा दक्षिणमार्गी; तेमां वाममार्गी लोको महानवमीनी समाप्तीमां साक्षात् पशु महिषादिनो देवीनी सन्मुख वध करे छे. तेमज मद्यपान पण करे छे. परंतु जे दक्षिणमार्गी छे, तेओ कूष्मांड [ कोलुं ] वा श्रीफल आदिनो पशुने स्थले उपयोग करे छे. माटे शक्ति भक्तीमां पण केवल वाममागाओनेज हिंसाप्रतिपादक क्रियाप्रधानप्रन्थो मान्य छे. सकल आर्यंजनोने ए ग्रन्थ सर्वथा मान्य नथी. ३ – धर्मसिन्धु, निर्णयसिन्धु आदि सर्वमान्य ग्रंथोमां उपरनी क्रियाना संबंधमां माप्रमाणे लक्ष्युं छे. विप्रेण यवहोमान्न बलिनैवेद्यैः सात्विकीपूजा कार्या नैवेद्यैश्च निरामिषैः ॥ मद्यं दत्वाब्राह्मणस्तु ब्राह्मण्यादेव हीयते ॥ मद्यमपेयमदेयमित्यादिनिषेधानां मांसमधयुत पूजायां ब्राह्मणस्य नाधिकारः स च Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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