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________________ धर्मसिन्धुमा बलिदान प्रकरणमा लख्युं छे के,-- सकामेन क्षत्रियादिना सिंहव्याघ्रनरमहिषच्छागसुकरमृगपक्षिमत्स्यनकुलगोधादिप्राणिस्वगात्ररुधिरादिमयो बलिदेयः अर्थ:-क्षत्रि जो कामना विशेष युक्त होय तो तेणे सिंह, व्याघ्र, नर, महिष, छाग, सुकर, मृगपाक्ष, मत्स्य, नोलियु, घो विगेरे प्राणीनो तथा पोताना रुधिर विगेरेनो पण कामनानुसार बलि आपवो. आथी तुच्छ कामनारहित क्षत्रियने आ हिंसा प्रधानकर्म आदरवा योग्य नथी एज स्पष्ट समजाय छे. वली मद्यमांसादि वडे आराधन वामाचार गणाय छे, भने वाममार्गने अनुकूल शास्त्रो कलियुगमा प्रमाणभूत नथी. एम धर्मसिंधुकार कलिवर्जप्रकरणमां कहे छे. मद्यभक्षादि वामाद्यागमस्य तु न मान्यता मद्य मांसादि भक्षण- प्रतिपादनकरनारा वाममार्गना शास्त्रो कलिमां प्रमाणभूत नथी. मा हिंस्यात्सर्वभूतानि कोई पण प्राणिनी हिंसा करवी नहीं. अहिंसा परमो धर्मः को धर्मोभूतदया इत्यादि श्रुतिस्मृति तथा आप्तपुरुषना वाक्यो अहिंसा प्रतिपादक अनेक छे. परंतु वखते तेमां जगाना संकोचने लीधे आ स्थले सर्व लख्यां नथी. ४--सर्व राजाओने ते अवश्य कर्तव्य नथी. तेम न करवामां आवे तो कोई प्रबलशास्त्रनी आशानो भंग थतो नथी. वली सात्विकी क्रिया करवाथी ए एकदेशीशास्त्रनुं मान पण रहे छे. ५--जो देवी पोताना प्रधान उपास्य देव होय तो तेनी योग्य समये भाराधना न थवाथी हानिनो संभव खरो परन्तु सात्विकी पूजावडे श्रीजगदंबानुं श्रद्धा भक्तिपूर्वक सडे प्रकारे भाराधन थई शके छे. माटे हिंसा प्रधानक्रिया न करवामां कशो पण बाध नथी. ६--भा प्रश्ननुं समाधान उपरना प्रश्नोना उत्तरथी थई गयेलं भापने जणाशे माटे ते विशे अधिक लखवा प्रयोजन जणातुं नथी. ७--एवी रीते छेकौं देवा करता ए तामसक्रिया नज करवी ए भतिउत्तम मार्ग छे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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