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________________ "अर्थ-इन्द्रियनो जय करी राग द्वेष क्षये करीने कोई प्राणीनी हिंसा न करे तो मोक्ष पामे छे. माटे श्रुति प्रतिपादित होवाथी ते हिंसावाला पुराणागमना पचनो प्रबल नथी माटे ते न करे तो शास्त्राज्ञानो भंग थतो नथी. प्रश्न ५ मो. उत्तर-आ उपल्या वचनोधी हिंसात्मक कर्म तामसिक ने काम्य ए वेदोदित छ. ए तो प्रत्यक्ष जणावेलं छे. तो ते महा नवमी- बलिदान पशु मारी न करे तो अमुक प्रत्यवाय लागे-एम कोई स्मृति वा पुराणनुं वचन नथी. एटलुज नहीं पण होलिका पूजन विगेरेमा राष्ट्र दहन विगेरे काल भेदे प्रगट वामोए निषेध करेलो छे. तेथी मामां काई बलिदान न करे तो अमुक दोष कोई शास्त्रमा नथी. केमके आ काम्य कर्म छे. कारण के वाराही तंत्रमा नवरात्रना विषयमा मांसादि होम, बलि, मारणक, उच्चाटन कामना भेदे होम करवो तेम वाराही तंत्रमा कयुं छे. धर्मार्थकामसंवृद्धौ मोक्षार्थी पायसं हुवेत् मारणे मोहने चैव तथोच्चाटनकर्मणि ॥ हुवेत् प्रदीपने वन्हो तिलधानादितंदुलान् अर्थ-धर्म अर्थ कामना वालाए तिल-यव-ने चोखा विगेरेनो होम करवो, मोक्षने माटे धपाक, मारण मोहन उच्चाटनमां मांस होम बलि करवां तो महानवमी बलि पशुवध अवेदोदित तथा काम्य छे. तेम कोई जगोए न करतां अमुक राजा प्रजा उपर भार एम लखेलं नथी. प्रश्न ६ ठो. उत्तर-पशु हिंसाने बदले यज्ञमा तथा बलिदाना बीजी क्रिया शास्त्रमा लखेली छ ते पशुजगोए पिष्टनी प्रतिमा वा कूष्मांड ने श्रीफळ लई ते पशुने ठेकाणे कल्पी तरवारथी कापि बलि देवा कहेलं छे. श्रीनिर्णयसिन्धौ दुर्गे देवि समागच्छ सान्निध्यमिह कल्पय बलि पूजां गृहाणत्वमष्टभिः सह शक्तिभिः सहेत्यावाह्यपूर्वोक्तमंत्रेण षोडषोपचारः संपूज्य माषभक्तबलिं कूष्मांडादिबलिं दवात. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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