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________________ ४९ मेधातिथिव्याख्या-तावती जन्मनामावृत्तिारणं प्राप्नोति तथा पशुनः श्रुतिस्मृत्योरचोदितं पशुवधं यः करोति तच्च प्रकरणान्महानवम्यादिषु लौकिकैर्यत् क्रियतेपशुघ्न इति कप्रत्यये छांदसरूपम् अर्थ-मेघातिथी एवीरीते उपल्या अर्थनी व्याख्या कहेछे. स्मृति श्रुतिमां कहेल नहीं एवो पशुवध करे छे एटले ते नवमी दशराने दिवसे बलिना प्रसंगे वेदमां नहीं कहेली हिंसा करनार अंधपरंपराथी वाममार्गथी चालती आवेली लौकिक हिंसा करनारा पशुघ्न कहेवाय छे. ते माटे मनु कहेछे के वेदमा नहीं कहेली हिंसा आफ्दू कालमा पण करवी नहि. गृहे गुरावरण्ये वा निवसन्नात्मवाद्विजः नावेदविहितां हिंसामापद्यपि समाचरेत् ॥ अर्थ-गृहस्थाश्रममां बह्मचर्य आश्रममां-तथा वानप्रस्थाश्रममां न कहेली हिंसा आपद् कालमां पण करवी नहीं. यो बंधनवधक्केशान् प्राणिनां न चिकीर्षति स सर्वस्य हितप्रेप्सुः सुखमत्यन्तमश्नुते ॥ जे प्राणिने बंधन तथा वध विगैरे क्लेश नथी करता ते सर्व हित ईच्छनार अत्यन्त सुख पामे छे. नाकृत्वा प्राणिनां हिंसा मांसमुत्पद्यते कचित् न च प्राणिवधः स्वर्ग्यस्तस्मान्मांसं विवर्जयेत् प्राणीनी हिंसा करीने ज मांसने पामेछे ने हरेक प्राणी वध छे ते नरकप्राप्त करनारो छे. माटे मांसज त्याग करवू. अनुमन्ता विशसिता निहंता क्रयविक्रयी संस्कर्ता चोपहर्ता च खादकश्चेति घातकाः हिंसा करनारने टेको आपे ते तेनां अंग नोखां करनार, हणनार, वेचनार तथा वेचातुं लेनार, पकावनार, हरण करनार, खानार ए दोषभागीछे. निवृत्तिस्तु महाफला वेदमां कहेली अथवा बीजी सघली हिंसामा दोष रहेलो छे, तो तेथी निवृत्ति पामवी एज मोटुं पुण्यनुं फल छे, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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