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________________ १० उपर कहेल समष्टि शरीरने प्रत्यक्ष अग्निद्वारा ने आपीए छीए ते पहोंचे छे अने तेटलाज माटे आपणा वृद्धोए अग्निहोत्र राखवा, सवार सांज नित्यहोम करवा, ने यज्ञयागादिक करवानुं का छे. अने ए यज्ञयाग होम विगेरेथी हवा सुधरे छे, वृष्टि सारी थाय छे, ने रोगनो उपद्रव थवा पामतो नथी. तथा प्रजा सुखकारीमा रहे छे पण जोए अग्निमां खराब पदार्थनो होम थाय तो सर्व प्राणियोने नुकशान थया विना रहेतुं नथी. जेम एक झेरी वस्तु छे ते एक माणस जेटली खाइने मरी जाय तेटली ते वस्तु जो अग्निमां नांखी होय तो जेटला माणसने धुमाडो लागे तेटला मरण पामे छे. वळी आपणी पासे थोडी वस्तु होय ने ते वस्तु घणा माणसने पहोंचाडवी होय तो, अग्निमां नांखवाथी घणाने ते एकसरखे हिस्से पहोंचे छे. तेवी ज रीते खराब पदार्थोने होमवाथी नुकशान अने शुभ पदार्थो होमवाथी फायदो छे माटे पशु- मांस होमवाथी नुकशान ज छे कारणके ते अग्निमां नाखवाथी हवा बगडे छे ने नठारो पदार्थ समष्टिना देवोने (इंद्रियोने ) पहोंचे छे. अने ते द्वारा आपणने बहून नुकशान थाय छे. माटे अवश्य पशुबलि अग्निमां न आपq तथा मांस होमवू नहीं. त्यारे शुं बहार बलि आपq ? तो तेम पण नहीं. एथी पण तेवीन नुकशानी छे. केमके हवा खराब करे छे. कारण ते केवळ मळन छे. अने मळ्यी कोई खुशी थाय ज नहीं, नाखुश जथाय अने नाखुश थवाथी नुकशान थाय छे. ते नुकशान जुओ दैत्योने अने राक्षसोने एम अकृत्य करवाथी थयेल छे तथा तेमनां राज्यो पण पायमालीपर आवी गयां छे वळी तेओ भुंडे हाल मरण पाम्या छे अने महा खराब थई गया छे. माटे जेमणे खराब थर्बु होय तेमणे ए कृत्य करवू. राजाए तथा प्रजाए बनतां सुधी ए कृत्य करवा देवू ज नहीं. कारण के एथी बहु न हानि छे अने ते आ वांचवापरथी तथा विचारथी अनुभवमां आवेल ज हशे. हवे यज्ञ करवा ए शास्त्रीय छे अने करवा ए ठीक एम अनुभवमां पण आवे छे. पण पशुवध तो वामतंत्रोना ग्रंथो सिवाय बीजा कोई ग्रंथोमां जोवामां आवतो नथी. माटे ते प्रबळ गणाय नहीं. आसुरी संपत्तिवाळाओ एम करे छे. दैवी संपत्तिवाळा कदि एम करे ज नहीं. अने राजाने ए नन जोईए. आ बलि शुभ देवो ने पालक आगळ बताव्या छे तेने अपाय छे के अशुभ संहारक देवोने अपाय छे ? जो शुभ देवोने आपता होय तो ते महाहानि छे. शुभ देवो तेने अंगीकार न नहीं करे अने सामा गुस्से थशे तेथी नुकशान छे. अने अशुभ देवोने आपवाथी ते मांकडाने दारु पाया बरोबर छे. खराब तो छ ज अने तेमने वळी आवी रीते उत्तेजन मळे तो तेओ शुं न करे ? तेओ नुकशान करे छे ने आथी वधु नुकशान छे. माटे सर्व रीते पशु वधनो निषेध छे. त्यारे राजाए सर्वेने यथा शक्ति सत्कार करवो ज जोईए, तथा ए संहारक देवो पण राजाने कोई वखते उपयोगी छे, माटे तेमनुं पण ओळखाण राखg जोइए अने तेमने दुभववा न जोइए ए पण एक ठीक छे. कोइ वखते काम लागे तेम छे तो पछी तेओने ते बलिने बदले बीनां पदार्थो कह्यां छे ते आपवां एटले कोइ जातनी अडचण आवशेन नहीं. आ द्वंद्वाकृति अनादिथी चाली आवे छे. सारुं ने नरसं, शुभ ने अशुभ पाळक ने संहारक, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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