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________________ ३ वेद, वेदांग, उपांगोमां हिंसा करनाराओ तो कोई दिवस आ भवाब्धिमाथी छूटी मोक्ष पामी शकता नथी एबुं स्पष्ट लखेलं छे. तेथी आवे प्रकारे हिंसा करवी वा कराववी ते मनुष्य जन्मनो लाभ गमावी दीधा प्रमाणे ठरेछ अने तेना करता करावता उत्तरोत्तर नीचगतिने प्राप्त थायछे. ४ ए क्रियाज ज्यार वेद शास्त्रमा गणाती नथी तो पछी राजा महाराजाने ए कर्तव्य कयांधीज होय ? अन एवी क्रियानी पूर्वे प्रवृतिज नहती त्यारे तेनो निषेध बलवान शास्त्रमा कयांथी लखायेलो होय ? एमां वंध्या प्रसूति न्याय प्रमाणे समजवू जोइए. जो प्रसूत थई होय तो बंध्या कहेवाय नहीं, केमके तेने वंध्या कहेबानो संभव नथी. तेथी हिंसा करवामां जे सामान्य दोष वेदशास्त्रमा छ ते हिंसावालाने लागु पडछ. राजा महाराजाओने राजधर्म प्रमाणे न्यायथी जे रैयतने तेओना दोषा छाडाववा माटे शिक्षा करवी पडेछे. जेनी हद प्राणवध सुधी पहोंचे छे, तेवी हिंसाओ अने जंगली दुःष्ट पशुआथी पोतानी प्रजाने बचाववा माटे तेनो जे वध करवो पडेछे, तेवी हिंसाआनी छूट मूकवाथी वेदोमां प्रेरेली तथी वैदिकी हिंसा हिंसा थती नथी ते वाक्योनो लाभ लई कंटलेक ठेकाणे वेद मंत्री पण वापरी वाम मार्गीओए धर्म शास्त्रथी अज्ञात मनुष्योने आडे मार्गे उतारी दीधा जणाय छे. अने तेथी बलवान् शास्त्रनी आज्ञा तूंटछे. माटे भावा प्रकारनी क्रिया करवी तथी बलवान् शास्त्रनी आज्ञा भंगेछे. ५ तेवा प्रकारनी हिंसानो जो महाराजा पोतानो धर्म समजी परित्याग करे अने पोतानी प्रज.ने बोध करावी ते छोडावे तो राजा अने प्रजाने कोई प्रकारनी आपत्ति न आवतां धर्मवान् राजा कहेवाय अने प्रजानो जय थवानो संभवछे, एवी हिंसानो त्याग करवाथी अने कराववाथी बलवान् शास्त्रनी आज्ञा पालन करेली ठरेछे. ६ गृह्यसूत्रोमां बलेवने दिवसे करवाना उपाकर्मादि केटलाक कर्मों वर्णवेलां छे. ते करवाथी धर्मलाभ थायछे अने दशरानो दिवस क्षत्रिओने उत्सवनो होवाथी विशेष होमादि करी, बाह्मणनो यथाशक्ति सत्कार करी, अधारी आदि उत्साह जनक कार्यों करवामां वेद आज्ञानो कोई प्रकार भंग थतो नथी मात्र आवा प्रसंग होमादि करी वाम मार्गीओनो विधि कर्याथी दोष प्राप्त थायछे. ७ पशु वध कर्या ने बदले तेना नाक कानने छेको मारवो ते वामी क्रियाने साचवी राखवानुं दोषनुं काम छे. जोके पथरा करता ईंट नरम होय छे तेवूछं. तो पण ज्यारे बलवान् स्वतः प्रमाण वेदशास्त्रमा एनो विधिज नथी तो पछी ए कर्मपण अयोग्य ठरेछे. तेथी तेवा अयोग्य कर्मनुं फल तमां थता वधता ओछा पापना प्रमाणमां भोगवq पडशे. ___ हवे उपसंहारमा मारे आपने एटलीज विनंती करवी छे के अमारा उपला लखेलानो सारांश एटलोज नीकले छे के, वेदोमां एवां कर्मों करवानी विधि नथी अने वेदशास्त्र करतां Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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