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अने एज धोरणथी आपणा महाराणा साहेब तरफथी बलेव दशरा वगैरे पर्वोपर पाडा, बकरा विगेरे प्राणीमोनुं बलीदान एटले तेओने मारी देव देवीओने खुशी करवा माटे जे भोग आपवामां आवेछे; ते संबंधी रूढी अने धर्मशास्त्रनुं प्रमाण मेलववा माटे जे सात प्रश्नो वर्तमान पत्रोमा छपायेलाछे. ते प्रश्नोनी एक नकल अमने मली छे. तेनो यथामती उत्तर आपवो योग्य समजी तेना जवाबो अमो नीचे प्रमाणे लखी आप तरफ रवाना कर्या छे अने उमेद छेके आप अमारा प्रत्युत्तरो महाराणानी हजुरमां रजु करशो.
१ एवा प्रकारनी पशु हिंसा करवानी कोई शास्त्रमां आज्ञा नथी केमके शास्त्रशब्दपर विचार करतां आपणा पूर्व ऋषिमुनिओ वेदोनेज स्वतः प्रमाण मानता हता तथा साक्ष्यर्थ, वेदोना विज्ञानार्थ, अने आर्य इतिहासार्थ वेदना छ अंगो, चार उपवेद, षड्दर्शनो आदि आर्य ग्रंथोने गौण प्रमाणमां मानता हता. जे वेदानुकूल होय अर्थात् वेदोना प्रमाणथीज तेनुं प्रमाण थतुं हतुं तेथी शास्त्रसंज्ञा वेदोनेज लागु पडछे अने बीजा आर्य ग्रंथोनी उपशास्त्रमां गणना थायछे. तेथी तेवा ग्रंथोने सूत्र, दर्शन, स्मृति, आदि नामो आपेलां जोवामां आवेछे अने तेथी तेओनुं एवं मानवुं हतुं के " वेद प्रणिहित धर्म अने तेथी विपरीतते अधर्म, एम मानता हता. मनुस्मृतिमां कह्युं छे के प्रत्यक्ष, अनुमान, अने शास्त्रविधि प्रकरना आगम त्रणेथी जे विदित धाय त्यारे धर्म शुद्ध कहेवाय, आर्य धर्मोपदेश वेदशास्त्रथी अविरोधि अने जेनो तर्कथी पण निर्णय थाय तेने धर्म जाणवो तेथी एवा प्रकारनी पशु हिंसा ए पर्वपर करवी ते चारे वेदोना गृह्यसूत्रोमां के श्रौत्र सूत्रोमां नथी ने ब्राह्मण ग्रंथोमां ' तेनो अर्थ वाद, संज्ञा, गुण, के चिन्ह जणातां नथी.' तेम तर्कथी जोता एवा प्रकारे गरीब पशुओने मारी कोईं पण अभीष्ट थवानो संभव नथी. तेथी ए बलेव अने दशराने दिवशे जे पाडा अने बकरा मारवामां आवेछे. ते अधर्म छे अने तेवां कर्म करतां करवतां तेमां भाग लेना ओने अवश्य पाप थशेज अने ए क्रिया वेदबाह्य होवाथी ते करवाथी मनुष्य दोषी थाय छे.
२ एवीएवी क्रियाओ संबन्धी ज्यारे ज्यारे इतिहासक दृष्टिए विचार करवामां आवेछे, त्यारे प्यारे विचार करतां वेद शास्त्रमांतो ते जणाती नथी. तेथी ते क्रिया वैदिकनी नथी. परन्तु आसेरीयन, ईजीपशीयन, खाल्डीयन, आबीसीनीयन, मेजीयन, मांगोलीयन, जुलु वगैरे देशोना इतिहासोमां जोईए छीए. ते तेमज एवी एवी क्रियाओ के जे शाक्त वाम मार्गीओना ग्रंथोमां तथा तंत्रमां जोवामां आवेछे, तेनी रूढी केटलाक देशोमां हजु सुधीमां जोवामां आवेछे अने तेनी हजु सुधी चीन, जापान, ब्रह्मदेश वगैरेमां अहिंसक बुद्ध धर्म मानता छतां एटली प्रवृति छे के जेनी विरुद्ध कोई एक शब्द पण बोली शकतुं नथी; तेमज ए ( सेमेटीक ) तांत्रिक मार्ग आपणा देशमां वाम मार्गना नामथी गुप्त चालेछे. क्रियाओ पण प्रसिद्ध थायछे. तेथी एवा शास्त्रो आर्य लोकोमां मान्य नथी ने गणाई शकवानां पण नथीं.
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केटलीक आवी आव कोईपण काले गणायां
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