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________________ भावी शके छे. एटलंज नहीं परन्तु उत्तरोत्तर कर्म, उपासना भने ज्ञान ए त्रण कांडोनुं रहस्य समजायाथी कयां कयां कर्मो मोक्षे पोचाडनार छ तेनो पण बोध थवाथी मनुष्य बम्मनी साफल्यता थायछे. वेदो तो घहुंनी कर्णाक जेवाछे. ते जेम सारा मनुष्यना हाथमां भावे तो तेनो जेम सारो पाक थायछे अने मूर्खना हाथथी बगडेछे तेम विद्वानो ते मंत्रमा समायली प्रेरणाओ समजी तेनो सारो अर्थ उत्पन्न करेछे भने भनो [ मूर्ख ] तेनो अर्थ पोतानी मतलब पार पाडवा माटे फावे तेम करेछे. तेथी वेदो एक एवी चीज ठरेले के सारानेसारं फल आपेछे अने माठाने मार्ल फल आपेछे. सालं कयुं चे मार्छ कयुं फल छे! तेनो निर्णय पूर्वना मुनिओए करी मुकेलो छे. तेथी वेदार्थ करती वखते तेनां अंगो ने उपभंगोथी अविपरीत अर्थो जे निष्पन्न थता होय ते ग्रहण करवा अने विपरीत अर्थनो त्याग करवो. एवे प्रकारे वेदार्थ जेजे आवे तेनो विचार करवाथी यथार्थ वेदार्थ शुं छे ते समजवाने पुरता साधनो छे. तेम साथे सृष्टी क्रम पण जाणवो जोईए. केमके वेदार्थ करवामां साक्षीनी अपेक्षा उभी थायछे अने वेदोने आपणे ईश्वर प्रेरित स्वतः प्रमाण मानीए छीए. तो ईश्वरी सृष्टि विरुद्ध एमां कोई पण प्रकारनो बाध न होवो जोईए, तेथी सृष्टिक्रमना जेजे नियमो जणायेला छ तेथी विपरीत जो कोई वेदार्थ करवानो प्रयत्न करतो होय तो ते अमान्य थवो जोईए. केमके ईश्वरे सृष्टिक्रम विरुद्ध वेदोमा उपदेश कीधोछे, ए संभक्तुं नथी. तथा न्याय शास्त्र भणी वस्तु सिद्ध करवाने जे प्रमाणोनी योजनाओ तेमा समावेली छे, ते जांण्याथी कोई हेत्वाभास करी उलटानुं सुलटुं करी वेदार्थ समजाववानी प्रेरवी करे तो ते समजाई शकाय अने पोताना आत्माने सूक्ष्ममा सूक्ष्मविषय समजवाने योग करवा माटे प्रतिरोज संध्यावंदनादिक प्राणायाम कर्याथी आत्मा उन्नत पण थायछे अने शुद्धपण थायछे. त्यारे ते पोताना आत्माथी पण योग्यायोग्य समजवाने समर्थ थई शकेछे. तेथी उपला क्रमेथी जो विचार करवामां आवे तो धर्मना नामथी हाल जे गडबडाध्याय उभो थयो छे ते धीरे धीरे ओछो थतां आगल जतां मनुष्यमात्र पोतपोताना जन्मनु सार्थक करी शके तेवो संभव छे. बाकी पक्षपातिक वादविवादयी कंई फल उत्पन्न थई शकतुं नथी आq अमारं मत छे. ___ ते छतां जो राजा महाराजाओ पोताना अने पोतानी रैयतना कल्याण माटे जूदा जूदा धर्म विषयो उपर “जेम हाल आपणा महाराणा साहेबे उपाड्यो छे तेम " जाहेर विचार मागवानी योजनाकरे अने सुज्ञ निरपेक्ष विद्वानोना अभिप्रायो भेला करी तेपर पोताना तरफथी उपसंहार लखावी जाहेरमा मूके अने जे निश्चय थयो होय ते आग्रह पूर्वक ग्रहण 'करी अमलमां लावे तो तेमाथी आगल जतां सारां सारां फलो थवाना संभवोछे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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