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________________ ११२ ७ प्रश्नोंका उत्तर. कोई शास्त्र नहीं है. पूर्व प्रश्न अंतर्गत उत्तर छे तंत्र ग्रंथ शास्त्र नहीं कहेला छे. वेदमें अनपराधी उपयोगीकी अनुचित्त रीतिसे हिंसाका निषेध 19 होने योग्य है, परंतु प्रबल शास्त्र वेद ग्रंथके अर्थ में झगडे हानेसे साक्षीमें मंत्र लिखना नहीं चाहते शास्त्रार्थ होने तक. ૪ થે १ ले प्रश्नका उत्तर.... २ सरे ३ सरे " .... .... ओर न होने योग्य है. ७ वे . आज्ञा तोडी एसा नहि गिना जाता ओर इसका प्रबल प्रमाण हे. नहीं कहा है क्योंके विद्ध ही नहीं है. नहीं तो तिसके बदले अमुक क्रिया कैसे लिख शकते हैं ६ जत्रके पत्र लिखित हिंसाही "" 11 "" कुरान या बाईबलके मतका वेदमें निषेध हे ! ऐसा कोई प्रश्न करे तो इसकी साक्षीके मंत्र वेद में नहीं निकलेंगे कुरान या बाईबलका नाम भी वेदमें नहीं हे ईसी प्रकार पत्र लिखित हिंसाकी साक्षी वास्ते समझ लेना अतेव दाखले नहीं लिख सकते और अर्थापत्तिकी रीतिसे झगडे हैं. जब यूं होते यह सवाल पेदा होते हे के उक्त हिंसा की रूढीने क्यों ओर कब प्रवेश किया ? इसका संक्षेपमें यह उत्तर है. जिस समय इसकी रसम चली तत्र वर्तमान कालका कोई भी मनुष्य नहीं था अतेव दृष्ठ साक्षी तो कोई भी नहीं करसक्ता तथा योगी लोग भी भूत भविष्य यथार्थ नहीं बता सक्ते इसकी सिद्धि हम कर सकते हैं अतेव ग्रंथोंके लेखसहित करार करनी पडती है जब इतिहास पर बात आई तब ईतनी शंका सन्मुख आती है: १ अपने अपने धर्माचार्य के अनुयाइ अपने ग्रंथ में अपना पक्ष कल्पित गाथासे लिख देता है जेसे कबीर पंथवाले कबीरकी हयाती ओर चरित्र सृष्टि आरंभ से मानते हैं, और ग्रंथो में लिखे बताते हैं वेसेही जैनी, किरानी, कुसनी, पुराणी अपने अपने पक्ष के सिद्धि वास्ते इतिहास बना बनाकर छोड गये हे जिनका मूल माथा नहीं मिलता अतेव कोनसा इतिहास मान्य हे. पृथीराज चोहान कोनसे संबतमें हुआ इसमेंही तकरार हे कोइ संवत ११४९ कोइ १२५० लिखता हे अब विद्वान विचारेंगे के एसे प्रसिद्ध राजाके समयका ८०० वर्षमें झगडा पडगया, निर्णय नहीं होता तब एसी सूक्ष्म ओर अनेकाधीन रसमका यथार्थ कारणमें विवाद हो उसमें क्या करना है. २ - संसारमें फेरफार होता रहेता हे, नवीनखंड वस्ते हे प्राचीन समुद्रमे डूब जातें हैं; इत्यादि अनेक फेरफारसे ग्रंथ या संकला मिलना असंभव है. अतेव रूढीके निर्णयमें श्रम करना व्थर्य हे तथापि इस रूढीका ठीक अमुक समय तो नहीं परंतु समय की लगभगता निश्चय होनेकी सामग्री मिलने से इतना लिखना बस हे के महाभारतसे पूर्वके ग्रंथोंमें किंतु २५०० वर्षके पूर्व कालके ग्रंथोंमें मूर्त्ति Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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