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पशुको मारडालनेसे या हवन करनेसे वोह पशु स्वर्गमें जाता हे तब ओ आर्य इस वातका उत्तर नहीं दे सकता अर्थात् उसका पुरावा क्या? वा आप या अपने पिता या पुत्रको ही क्यों न मारा भयके मुरुत में स्वर्ग मिलजाय. जो काइ ऐसा मानता होके पत्र लिखित हिंसा नहीं करोगे तो देव नाराज हो जायगा नुकसान करेगा तब हमारा इतनाही उत्तर बसहे यदि पूर्वोक्त परीक्षामें वोह देव पास होय जाय ओर उसकी नाराजगी सिद्ध होय जाय तो देवकारजी होनाभी मान लेगे ओर हिंसा करनेको अर्थ स्वीकार लेगे परंतु आज तक एसा नहीं हुवाहे जो एसा होतातो सोमनाथकी प्रतिका शिर यवन नहीं तोडते ओर क्षत्रिोंका राज नहीं जाता. ___ निदान जडके सन्मुख निरपराधी उपयोगी जीवके प्राण हनन करना अनीति हे एसे अनेक कारणोसे सीसोटिकोके बडे उदयपुरके महाराणा ओर दूसरे राजोने बहोत जगे पत्रलिखित हिंसा होना बंद करदियाहे. __ शूरवीर धीरोंका काम हे के निर्बल निरपराधीपर हाथ नहीं उगना किंतु उनकी रक्षा करना,
और दुष्ट, शत्रु, घातकी जीवा ( काकू, आतयी, सिंह, रीछ, सूवर वगेरे ) को मारना ओर उनके भयसें मुसाफीर ओर प्रजाको अभयदान देना नके एसी अनुचित हिंसा करना या करनेमें सहाइ होना. पत्रमें प्रमाणी आर्य शास्त्रके संबंधसे प्रश्न लिखाहे इसका वर्तमानी निदान जरासी बातहे वोह यहयेः-तमाम दुनियामें कोनसा शास्त्र मान्यहे ? इस सवालके निर्णयका तो प्रसंग यहां नहींहे किंतु पत्रमें आर्य शास्त्रकी चर्चाहे; तहां आर्य ग्रंथोंमें कोणता शास्त्र मुख्य प्रमाणहे ? इस सवाल के उत्तरमें विचारहे? जैनी ओर पुराणियोंको दृष्टि ते शास्त्रोंकी दो शाखा हे
जैन शास्त्रोंके सूत्रोंमें उक्त हिंसा नहीं हे परंतु उनके धर्मके प्राचीन ग्रंथ नहीं है किंतु २५४० ठाई हजार वर्ष पूर्वकालके जैन धर्मके ग्रंथ देखने में वामानेमे नहीं आते ( जुओ जैनी बाबु शिवप्रसाद स्टारापूर इंद्रिआ काडयाट्आ इतिहास तिमिरनाशक ग्रंथ ) अतेव पौराणियोंके शास्त्रोंपर दृष्टी डालें तो पुराण १८, स्मृति २०, शास्त्र ६, उपवेद ४, ब्राह्मण ग्रंथ ४, उपनिषद् १०, वेदके षट् अंग, ओर ४ वेदहे इनमेंसे पुराण तो जैन धर्मके सूत्रोंके पीछे बनेहे ( यह बात पुराणोंके लेख सही सिद्ध होती है.) यदि ईन ग्रंथोंके अनेक कारणोपर जावें तो बहोत हे इसलिये सर्व मान्य इतनाही उत्तर लिखना बसहे के आर्यों ( चोराणी विगेरे) के सर्व ग्रंथ ( उक्त ग्रंथ शास्त्र वगेरे ) वेद ग्रंथकी साक्षी लेते हैं; वेदको स्वतः प्रमाण मानते हैं. सर्व ग्रंथ शास्त्र वेदके पीछे बने हे. (वर्तमान कालके नवीन शोधकों ( यूरोपीअने वगेरे ) ने भय भीतहि निश्चय कीया हे के ईस पृथ्वीके तमाम देशके ग्रंथों में "वेद" प्राचीन ग्रंथ हे. काली पुराण देवी भागवत पुराण नहीं है, मार्कडेय वगेरे पुराण राजा भोज के समय किसीने बनाये हे देखो संजीवनी नाम ग्रंथ जो राजा भोजके समय बना हे.) निदान उनके तमाम ग्रंथ ओर आचार्य वेदकोटी मान्य मानते हैं चतेव अन्य ग्रंथ ओर शास्त्रोंकी छोडकर ४ वेद (४संहिता) को प्रबल मुख्य प्रमाण कल्प लेवें तब सामान्य दृष्टिसे यह प्रश्न उत्पन्न होते हे के" वेद प्रमाण हे
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