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________________ १०६ एम मानी पुष्टि आपनारा निकलशे खरा. ते उपर लोभाइ न जतां एकदम निर्णयपर न आवg एने माटे शास्त्रार्थ करवो ए श्रेष्ट छे. वली कर्मकांडविषयक नवीन पुस्तकोमा हिंसा रुप क्रिया जणावेली छे. पण ते प्रेरणा वा विधिरुप नथी पण रोज हिंसा थती होय तेने नियममाः लावी क्रमे क्रमे अटकाववा रुप छे. एवो शास्त्रोनो हेतु न समजतां सर्वत्र हिंसा पंडितमन्य मूढधीओऐ ठोकी बेसाडी शास्त्र वचनोपर पाणी फेरवी धर्मनी आडमां एवां क्रूर कर्मनो वधारो करी मूक्यो छे. ए रीति नियम वचन भागवतमां हिंसा छोडाववाने जणाय छे. तथा पशोरालम्भनं हिंसा ॥ अर्थात् हिंस्य पशुने आलंभन, एटले स्पर्षन पूजन करी छोडी देवू. अहिं आलंभननो अर्थ हिंसा रुपन करबो ए हिंसकनो स्वार्थ छे. बाकी प्रकरण तथा कर्ताना अभिप्राय प्रमाणे अर्थ तो शास्त्रमा स्पर्श तथा पूजन रूप थाय छे. एम मानवू शास्त्र तथा युक्ति पूर्वक छे. ए शास्त्रीय कर्मकांडी विषयमां पुष्कळ लखवा बोलवानुं छे परन्तु काम, समय तथा विषय वधवाना भयथी वधारे लखवानी हाळ जरूर नथी. पण आटलं तो जणावयूँ जोइएके ऋग्वेद ऐतरेय ब्राह्मण मां अलंकार रूपे पशु (वध) शब्दनो अर्थ नहीं उगे एवं त्रण त्रण वरसनुं जुनुंभात एवो करेलो छे. सारांश एके त्रण वर्षनां जूना भातनो वध एटले खांडी कुसका जूदा करी तेना पिष्टनो मोहन भोग करी हवन करवो कह्यो छे. ने एवीज अनामेध संज्ञा छे. आवातमां शंका थती होय तो तथा ए विषयमां वधु जाणवांनी इच्छा होय तो पूर्वोक्त ब्राह्मण ग्रंथ मंगावी वांची निर्णय करी लेवो ओ सर्वेषां वाएष यमूनो मेघो यहीहि यवौ अर्थात् सर्व पदार्थोमां शाली तथा यव ए पशु संज्ञक शुद्ध धान्य हवनने योग्य छे. एवो पशु क्ध करी होम करवो एज पशु वधथी. सरद् ऋतुनी शान्ति रूप क्रिया पूर्ण थई गणाय पण आवां जीवन्त पशु मारवां नहीं. उपसंहार. धीर वीर प्रतापी सूर्यवंशमुगटमणी धर्मावतार महाराज महाराणा श्रीमान् मोहन देवजी महाराज तथा प्रधानादि राज्यकर्मचारीओ तथा आ विषयनी समीक्षक कमीटी तथा राज्याश्रित पंडितादि सुज्ञजनो प्रति अनेक धन्यवाद पूर्वक सानुनय प्रार्थना छे के आ मारा बाल लेखनुं सारी रीते निरीक्षण करवू. आ पत्र पहोंचवा पहेलां पत्रोनी समीक्षा थई चूकी हशे. परन्तु कृपा करी आ पत्रनुं पणसम्मेलन करवू ने व्याजबी निर्यण आपवो एवी आशा छे. ने आशा छे के आ रिवाज हवेथी धर्मपुरीमां बन्ध थशे एज ली० कृपाकांक्षी कृष्णराम ईच्छाराम वैदिक धर्मोपदेशक ग्राम खरसाङ–ता. अमळसाड तथा जलालपुर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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