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________________ त्वणंतमः ॥ तेवा प्रमाणथी. पूर्वे त्रेतायुग तथा द्वापरमां शास्त्रविधि रहित रागथी हिंसा करे तो नरकमां जाय पण आज कलियुगमा हिंसा विधिनां शास्त्रो मानवां नहीं मद्यभक्ष्यादिवामाद्यागमस्यलु न मान्यता ॥ एवा बलवान् धर्मशास्त्रोना प्रमाणथी हिंसाक्रियानो संकल्प तो क्याथीज होय ? उपर लखेलमां त्रण प्रश्नोनुं समाधान थाय छे. प्रश्न ४-राजाओने आ समयमा कर्तव्य नथी. जे शास्त्र हिंसानी आज्ञा करे छे ते आज्ञा तोडवा माटे बलवान् आर्यधर्मशास्त्र हुकम करे छे. प्रश्न ५-ते हिंसा न करवाथी देव उलटा प्रसन्न थइ राजप्रजाने सुख आपे छे. तेवा देवाने प्रसन्न करवाना सप्तशत्यादि-जप होम घणा उपाय छे. ते उपाय आ लोकमां तथा परलोकमां सुख आपे छे. प्रश्न ६-जेने कर्मशास्त्रमा श्रद्धा छे. तेने माटे यज्ञादिमां हिंसाथी बलीदान अवश्य करवानुं लख्यु छे. तेमां बळवान र्धमशास्त्रनी मनाइथी प्रतिनिधि कह्या छे. कालिकापुराण-रुद्रयामलमां एवा प्रमाणोथी बलीदानना प्रतिनिधि थाय छे. तेम करवाथी ते बराबर गणाय. प्रश्न ७ ते पशुनां नाक, कान जराक छेदी छोडी देवां ते कई प्रमाण नथी तो तेनो उत्तर पण नथी. तथास्तु. भट्ठ-नागेश्वर नथुरामर्नु आशीर्वचन. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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