________________ जैन जाति महोदय प्रथम [सचित्र [पृष्ट संख्या 1000 से अधिक चित्र संख्या इस महान् ग्रन्थ में जैन धर्म एवं जैन जातियों पोरवाड, श्रीमाल ) का इतिहास बड़े ही परिश्रम एवं के साथ जैन ग्रन्थों और ऐतिहासिक प्रमाणों से संक गया है / साथ में मगध नरेशों एवं कलिंगाधिपतियों क पार्श्वनाथ तथा भगवान महावीर की परंपरा के महान जैनाचार्यों का इतिहास तथा किस 2 प्रान्तों में किस / किन 2 आचार्यों द्वारा जैन धर्म की नौव डाली गई के नरपुंगवों की वीरता, उदारता और हृदय की विशाल किस प्रकार जैन जातियों का महोदय हुआ इन सब विस्तृत वर्णन किया गया है / इसके अलावा आधुनिक जै की पतन दशा का भी संक्षिप्त से परिचय करवाया गया ग्रन्थ की विशेष प्रशंसा न करके हम पाठकों पर ही छ कि एक वार इस ग्रन्थ को आद्योपान्त पढ़ें / सुन्दर छपा कागज, पक्की रेशमी कपड़े की जिल्द, शोभनीय भावव चित्र और 1000 से अधिक पृष्ट होने पर भी प्रचा मात्र रु०४) स्टोक में प्रतियाँ बहुत कम रही हैं खलास 20) में भी मिलनी मुश्किल है शीव मंगवालें / पता-श्री जैन श्वेताम्बर समें मु० पीपाड़-सिटि (मारवाड़) नथमल लूणिया द्वारा आदर्श प्रेस केसरगञ्ज अजमेर में छ इस जातीय प्रेस में छपाई का काम उमदा, सस्ता और जल्दी ओसवाल बन्धुओं से निवेदन है कि वे अपनी छपाई का काम यहीं भेजने के। सञ्चालक-जीतमल लुणिया Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat 'www.umaragyanbhandar.com