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[ २ ] हम यहां एकत्रित हुए हैं वह आपको भली प्रकार विदित ही है।
हमें अाज एक महान् प्रतिभाशाली, विश्वोपकारी अहिंसापरमधर्म के प्रचुर प्रचारक अद्वितीय महाभाग जो ओसवाल वंश के प्राद्य संस्थापक हैं, की जयन्ति उत्सव मनाकर उनके महान् उपकारों का विवेचन युक्त स्मरण करना है।
आधुनिक कृतज्ञता के युग में, साधारण कार्य करने वालों का भी जयन्ति उत्सव महान् समारोह से मनाया जाता है, इतना ही नहीं किन्तु कई अन्ध श्रद्धालु तो इस पवित्र भूमि के भार स्वरूप प्रात्मात्रों का भी यश गान करते हुए दृष्टि गोचर होते हैं, ऐसी दशा में उन विश्वोपकारी महान् पुरुषों का, कि जिनका हम पर असीम उपकार है यदि जयन्ति उत्सव नहीं मनावें तथा उनके कृत उपकारों का स्मरण नहीं करें तो हमारे जैसा इस विश्व में कौन कृतघ्न सिद्ध होगा। ____ यद्यपि आज उन महा भाग्य, महा पुरुष की स्थूल अात्मा हमारे समक्ष नहीं है, किन्तु उनका अमरयश तथा हम पर कृत अलौकिक उपकार ही उन के सूक्ष्म आत्म प्रतिबिम्ब का स्वरूप है जो सदैव हमारे हृदय पटल पर अपना अद्वितीय प्रकाश डाल रहा है यही हेतु है कि वे हमारे पूज्य स्थल हैं, अतः हमें प्रति वर्ष इसी भांति अनुपम उत्साह से उनका जयन्ति उत्सव बड़े समारोह से मनाते रहना आवश्यक है। ___ जयन्ति उत्सव उन्हीं महाभाग्य, महापुरुषों का Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
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