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परोपकाराय सतां विभूतयः
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उपकेशवंश अर्थातू प्रोसकाल समाज
अाद्य संस्थापक श्रीमद्जैनाचार्य श्री रत्नप्रभसूरीश्वरजी महाराज
जयन्ति-महोत्सव
मंगलाचरण अर्हन्तो भगवन्त इन्द्रमहिताः सिद्धाश्च सिद्धिस्थिताः प्राचायो जिनशासनोन्नतिकराः पूज्याउपाध्यायकाः । श्री सिद्धान्त सुपाठका मुनिवराः रत्नत्रयाराधकाः
पञ्चैते परमेष्ठिनः प्रतिदिनं कुर्वन्तु वो मंगलम् ॥ उपस्थित पूज्यवर्ग, महिला समाज, एवं प्रात्म बन्धुओं !
अहा ! आज के सुवर्णमय अवसर के साथ ही भाप सजनों की उपस्थिति देख मेरा हृदय श्राह्लाद से परम उल्लसित होरहा है। आज के सुवर्णमय अवसर पर जिस महान् मंगल भावना से प्रेरित हो
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