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मनाना आवश्यक है जिन्होंने अनेक विपदनद तैर कर देश, जाति, समाज, धर्म और विश्व का महान् कल्याण किया हो, विश्वसागर में पतित जीवों के जो मार्ग प्रदर्शक बने हों, नाना अत्याचारों तथा अनाचारों से पीडित विश्व को अपने अलौकिक उपदेश और तपोबल से अपूर्व सुख शांति का प्रास्वादन कराया हो इत्यादि। हमारे चरित्र नायक में यह सब गुण विद्यमान थे। __ यहां यह कथन भी अतिशयोक्ति पूर्ण न होगा कि स्वनामधन्य राष्ट्र-भक्त देश नेता लोकमान्य तिलक, गोखले, महात्मा गांधी, माननीय मालवीयजी, देश बन्धुदास, पंडित मोतीलाल, जवाहरलाल नेहरू आदि जो देश की सेवा कर रहे हैं अथवा जिन्होंने की है, इनसे कई सहस्र गुणी अधिक सेवा उस समय इन महापुरुष द्वारा हुई। विशेष उल्लेखनीय बात यह है कि उस समय में वर्तमान काल की भांति समुन्नत साधन नहीं थे। उस समय कुमार्गी मतों तथा पंथों की प्राबल्यता थी कि जिनके विरुद्ध कोई भी कार्य उठाना टेढी खीर याने बड़ा ही कठिन काम समझा जाता था।
जिस समय का हम वर्णन कर रहे हैं, उस समय क्या सामाजिक, क्या राजनैतिक और क्या धार्मिक इन तीनों व्यवस्थाओं में इतना घोर पतन हो चुका था कि जिनका उद्धार करना साधारण कार्य नहीं था, उस समय इस प्रकार के कुकृत्यों के सुधार के लिये किसी महान् आत्मा की आवश्यकता थी।
इतिहास के संशोधन से यह स्पष्ट होचुका है कि भाज से २५०० सौ वर्ष पूर्व भारत का विशेष भाग
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