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तिहास सोसवालवंश स्थापक 14g
श्राद्याचार्य श्रीरत्नप्रभसूरीश्वरजी AC का
जयन्ति-महोत्सव
उन पूर्वजों की कीर्ति का वर्णन अतीव अपार है। गाते हमी गुण हैं नहीं उनके गा रहे संसार है॥ वे धर्म पर करते निछावर तृण समान शरीर थे । उनसे वही गम्भीर थे वर वीर थे ध्रव धीर थे।
नन
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लेखक
-मुनि श्रीज्ञानसुन्दजी
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