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नरपतिजयचर्या
परात्मक। यदि सूर्य नीचका हो तो द्रव्य परात्मक जानना चाहिये।
जीवात्मक परात्मककी शान्ति । यदि द्रव्य जीवात्मक हो तो विष्णु, मणेश, ग्रह, क्षेत्रपाल,मातृका, भैरव, महादेव, नाग की पूजा करनी चाहिये और घरमें हवन करना चाहिये नारायणी बलिसे जीवकी स्थिति करै क्षेत्रपालके वास्ते मदिरा मांससे पूजन करे, रात्रिमें ग्रहबलि करै गणेश भैरवकी पूजाकरै गणेश, लक्ष्मीका संयुक्त पूजन करै महादेवका जप करै तब शांति होय ।
_ पूजन स्थान। जिस स्थानपर द्रव्य भूलाहो उसी जगह यह सब करै उसी जगह साकार चक्र बनाकर द्रव्य शल्य, जाने।
इस विधानसे जो लोग करतेहैं उनको द्रव्य, हड्डी, कोयला, शून्य स्थान अवश्य ज्ञात होता है।
चौबोला। राम शरणको पुत्र नाम जगनाथ हमारो। वास फरीदावाद जौनपुर जिला विचारो॥ मूल ग्रन्थको पाइ अनूपम भाषा कीन्ह्यों। खेमराज वर सेठ बम्बई आज्ञा दीन्ह्यों ॥
दोहा । कार्तिक शुक्ला पूरणा, शुक्रवार सुख कन्द । संम्वतहै अनुवादको, रस सर ग्रह अरु चन्द ॥
इति अहिवलयचक्रभाषा समाप्ता । अथ लांगलचक्रम् ॥
लांगलं दंडिका यूकें योक्त्र
द्वयसमन्वितम् ॥ दंडिकादि
____ लिखेद्भानि 'दिनेशाक्रांतभादितः ॥१॥ दंडिकाहलयूकानां द्विद्विस्थाने त्रिकं त्रिकम् ॥ योक्त्रयोः पंचके तत्र गणना चक्रलांगले ॥२॥ दंडिस्थे तु गवां हानिकस्थे स्वामिनो भयम् ॥ लक्ष्मीलागलयोक्त्रस्थे क्षेत्रारंभदिनक्षके ॥३॥
अथ लांगलचक्रम् । लांगलमिति यूकं युगकाष्ठं यो वृषावबोधकं काष्ठम् ॥ १॥ दंडिकोत ॥२॥३॥ १-१९५६
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