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जयलक्ष्मीटीकासमेता।
(१५९) द्रव्यका ज्ञान । याद चन्द्रमाके नक्षत्रमें सूर्य और चन्द्रमा स्थितहों तो अवश्य द्रव्यको जानना चाहिये।
शल्यका ज्ञान । यदि सूर्यके नक्षत्रमें चन्द्रमा और सूर्य स्थित हों तो अवश्य कोयला या हड्डी है।
द्रव्य कितना है। यदि पूर्ण चन्द्रमा हो तो विशेष द्रव्य, यदि क्षीण हो तो कम द्रव्य कहना चाहिये।
धातु ज्ञान । जो ग्रह चन्द्रमाको बलवान् दृष्टिसे देखता होय तो धातु कहना चाहिये ।
अब जानना चाहिये कि द्रव्य जमीनमें है या बरतनमें है यदि बरतनहै तो किस धातुका है।
बरतनका ज्ञान। चन्द्रमाके साथ सूर्य इत्यादि जो ग्रह पडेहों उसी धातुका बरतन कहना उचितहै।
द्रव्य मिलेगा या नहीं। याद चन्द्रमा अच्छे ग्रहके घरमें हो पूर्णबली हो तो द्रव्य मिलनेमें कोई सन्देह नहीं है यदि पापग्रहके क्षेत्रमें हो क्षीण बली हो तो रक्खा हुआ द्रव्य भी न मिले।
द्रव्य कहांहै। अब यह जानना चाहिये कि द्रव्य जमीनमें है या दीवारमें या पानीमें है या किसी कोनेमें है। - इसके जाननेकी यह रीति है कि जिस धातुका ज्ञानहो उसी ग्रहका नवांश अपने उच्चका हो अपनी जगह हो अपने नवांशमें हो तो समझलेना चाहिये कि दीवारमें है यदि नीचका हो तो जमीनमें नीचे है यदि बहुत नीच हो तो पानीमें कहना चाहिये।
द्रव्य कितना है। याद चन्द्रमा अपने षड्वर्गमें बलवानहो जितना अंश गुजराहो उसका दशगुणा द्रव्यकी संख्या जानना चाहिये। ___ अब विचार करना चाहिये कि द्रव्य जीवात्मक है या शून्यात्मक तथा परात्मकमें क्या है।
जीवात्मकका विचार। सूर्य यदि पापग्रहसे संयुक्त हो तो जीवात्मक द्रव्य है ।
शून्यात्मक। यदि सूर्य उच्चका हो तो द्रव्य शून्यात्मक है अर्थात् अपनी है।
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