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मारवाड़ का इतिहास ( Acting ) गवर्नर जनरल, लॉर्ड गोश्चनं (Lord Coschen ) और उसकी पत्नी का
आगमन हुआ । नियमानुसार भेट-मुलाकात हो जाने के बाद उसने यहां का दुर्ग और पोलो का खेल देखा । इसी प्रकार दूसरे दिन सुबह चौपासनी की राजपूत-स्कूल और शाम को मंडोर और कायलाने की झील का निरीक्षण किया । रात को दरबार की तरफ़ से उसके आने की खुशी में एक बृहत् भोज दिया गया। तीसरे रोज़ सरदार समंद में शिकार हुआ और इसके बाद वह ( लॉर्ड गोश्चन ) वापस लौट गया ।
वि० सं० १९८६ की आश्विन वदि २ (ई० स० १९२६ की २१ सितंबर ) को तृतीय महाराज-कुमार हरिसिंहजी का जन्म हुा । ___ आश्विन सुदि ३ ( ५ अक्टोबर ) को मुंशी हिम्मतसिंह, जो यू. पी. गवर्नमैन्ट से मांग कर बुलवाया गया था, 'रिवैन्यू-मैंबर' बनाया गया और पण्डित ज्वालासहाय मिश्र में जोधपुर-दरबार की सेवा से अवसर ग्रहण कर लिया।
मँगसिर वदि २ ( १८ नवंबर ) को महाराजा साहब ने जोधपुर नगर के पास की छीतर ( हिल ) नामक पहाड़ी पर बनाए जाने वाले अपने विशाल राज-भवन की
१. यह पहले मद्रास का गवर्नर था और महाराजा साहब के प्रतिवर्ष की गरमियों में उटकमंड
जाने के कारण इन दोनों के बीच मित्रता चली आती थी। २. इस अवसर पर पौकरन-ठाकुर चैनसिंह को 'रामो बहादुर' का, ठाकुर अनोपसिंह को 'सरदार ___ बहादुर' का और ठाकुर बखतावरसिंह को बादशाही पुलिस-मैडल का तमगा दिया गया । ३. इस अवसर पर किले से १२५ तोपें चलाई गई, और दफ्तरों में पांच रोज़ की छुट्टी हुई ।
कार्तिक वदि ३ ( २१ अक्टोबर ) को लेफ्टिनेंट कर्नल मैक्नब ( R. J. Macnabb, I. A.) जोधपुर का रैजीडैट नियुक्त हुआ।
कार्तिक सुदि १ ( २ नवंबर ) को मिस्टर यंग (J. W. Young, O. B. E.,) छुट्टी पर गया और फागुन बदि १२ ( ई० स० १९३० की २५ फरवरी ) को लौटकर वापस आया ।
ई० स० १९२६ में जोधपुर की 'पोलोटीम' ने लखनऊ में 'अोपन कप' और दिल्ली में अन्य दो 'कप' जीते । इसी प्रकार इसने अन्य अनेक 'पोलो' के खेलों में भी समय-समय पर विजय प्राप्त की। इससे भारत के बाहर इंगलैंड तक में भी इसकी अच्छी धाक जम गई । इस टीम के वर्तमान दो खिलाड़ियों रावराजा हनूतसिंह और रावराजा अभयसिंह ने ( जिनके इस समय क्रमशः ! और ८ हैंडिकैप है ) इस खेल में अन्ताराष्ट्रीय ख्याति ( International fame) प्राप्त करली है । येही दोनों खिलाड़ी जयपुर-नरेश की तरफ से भी भारतीय और इंगलैंड के 'पोलो' के खलों में बराबर खेला करते हैं । इसी से उनकी 'पोलोटीम' भी मशहूर हो गई है।
स्वयं जोधपुर-नरेश के भी, जिस समय आप पोलो खेला करते थे, ५ हैंडिकैप थे।
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