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महाराजा उमेदसिंहजी इस यात्रा में आपने परबतसर-लाइन, लाडनू और मूंडवा स्टेशनों और भदवासी ( नागोर के पास ) की खड़िया ( नागोरी खड्डी=Gypsum) की खानों का निरीक्षण किया।
_माघ सुदि १ ( ई० स० १९२८ की २३ जनवरी) को भारत का गवर्नर जनरल और वायसराय लॉर्ड इरविन मय अपनी पत्नी के जोधपुर आया और उसने यहां के घोड़ों, मवेशियों और व्यापारिक वस्तुओं की प्रदर्शनी को देखकर मारवाड़ के नागोरी बैलों की बहुत प्रशंसा की । दूसरे दिन महाराजा साहब के सेना-नायकत्व में सरदार रिसाले का प्रदर्शन (Review) हुआ । उस समय उसके सवारों की कार्य-दक्षता को देख वायसराय ने प्रसन्नता प्रकट की । उसी दिन रात्रि में राजकीय भोज (State banquet) के समय महाराजा साहब ने दो लाख रुपये देकर मारवाड़ी युवकों के लिये पशु-चिकित्सा (Veterinary) और कृषि-विज्ञान (Agricultural science) की ४ इरविन-छात्र-वृत्तियां (Scholarships) नियत करने और हाल ही में हिन्दू-यूनीवर्सिटी को कृषि-विद्या की शिक्षा के लिये दिए तीन लाख रुपयों से इरविन-कृषिविद्या-शिक्षक (Irwin Chair of Agriculture) नियुक्त करने की इच्छा प्रकट की।
१. वि० सं० १९८४ की कार्तिक वदि ६ ( ई० स. १९२७ की १६ अक्टोबर ) को
महाराजा साहब, अपने मामू (maternal uncle) बूंदी-नरेश रघुवीरसिंहजी की मातमपुरसी के लिये, बूंदी गए और वहां से लौटने पर कार्तिक वदि १४ ( २४ अक्टोबर ) को
बीकानेर की 'गंगा-कैनाल' नामक नहर के उद्घाटनोत्सव में सम्मिलित हुए। वि. सं. १९८४ की मँगसिर सुदि १४ (७ दिसम्बर ) को गश्त के समय, देवीसिंह, सबइंसपेक्टर-पुलिस डकैतों द्वारा मारा गया । महाराज ने उसकी वीरता और कार्य-तत्परता से प्रसन्न होकर उसकी स्त्री के गुज़ारे के लिये 'पैनशन' नियत करदी । • यह रुपया पण्डित मदनमोहन मालवीय के, वि. सं. १९८४ के मँगसिर (ई. स. १६२७
की नवम्बर ) में, जोधपुर आने पर दिया गया था और इसी के साथ राज-परिवार और प्रजावर्ग ने भी इस कार्य के लिये एक लाख रुपया और इकट्ठा कर दिया था। ( पहले लिखे अनुसार हिन्दू-विश्वविद्यालय (Hindu University) के कायम किए जाने के समय भी जोधपुर-राज्य से दो लाख रुपये दिए गए थे और चौबीस हज़ार सालाना पर शिल्पकला-विज्ञान की शिक्षा के लिये एक शिक्षक (Jodhpur Hardinge Chair of Technology) नियुक्त किया गया था। यह उपर्युक्त रकम वि. सं. १६६६ के माघ (ई• स १९१३ की फरवरी ) में दरभंगा-नरेश और मदनमोहन मालवीय के यहां आने पर दी गई थी।)
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