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मारवाड़ का इतिहास
पौष वदि ३० ( ई० स० ११२७ की ३ जनवरी को, देन लेन और व्यापार के सुभीते के लिये, जोधपुर में 'इम्पीरियल बैंक की शाखा खोली गई और राजकीय खजाने का काम भी उसको सौंप दिया गया ।
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पौष सुदि ५ ( ई० स० १९२७ की ८ जनवरी) को यहां पर लॉर्ड विंटरटन, अंडर-स्टेट-सैक्रेटरी फॉर इन्डिया का आगमन हुआ ।
वि० सं० १९८३ की माघ वदि ६ ( ई० स० १९२७ की २४ जनवरी) को कचहरी में एक दरबार किया गया । इसमें उन पुलिस अफसरों को, जिन्होंने अपनी जान को जोखम में डालकर अरटिये के रणजीतसिंह और जवाहरसिंह तथा सीकर के भूरसिंह और बलसिंह को, जो जोधपुर और आस-पास की रियासतों में डकैतियां किया करते थे, मारा था जमीन और अन्य शस्त्रादि इनाम में दिए गए और जोधपुर पुलिस के इन्सपैक्टर जनरल मिस्टर कोठावाला को एक तलवार ( Sword of Honour) मिली ।
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फागुन सुदि ८ ( ११ मार्च) को कर्नल विंढम ( Lt. Col. C. J. Windham, I. A., C. I. E.) जो पहले यहां पर रैजीडेंट रह चुका था, 'राजकीय- काउंसिल' का ' वाइस प्रेसीडेन्ट' बनाया गया और पोलिटिकल और फाइनैन्स मैम्बर का काम उसे सौंपा गया ।
वि० सं० १९८४ की वैशाख वदि ११ ( २७ अप्रेल ) को महाराजा साहब ने अपने छोटे भ्राता महाराज अजितसिंहजी को ५४,८७५ रुपये वार्षिक आमदनी के ७ गांवे जागीर में दिए और इसके कुछ मास बाद उन्हें डाइरेक्टर ऑफ़ वेटरनरी सर्विसेज (Director of Veterinary Services ) नियुक्त कर उक्त महकमे के पूरे अघिकार सौंप दिएँ ।
वि० सं० १९८४ की मँगसिर सुदि १४ ( ई० स० १६२७ की ७ दिसम्बर ) को महाराजा साहब फिर जोधपुर - रेल्वे का निरीक्षण करने के लिये दौरे पर निकले ।
१. अन्य अनेक डकैतों को नष्ट करने में भी पुलिस - सुपरिन्टेन्डेन्ट महेचा बख़तावर सिंह, और खीची कानसिंह ने अच्छी वीरता दिखलाई थी ।
२. उन गांवों के नाम ये हैं:
१ बीसलपुर, पटवा, ३ चावंडिया, ४ आगेवा, ५ बीलावास, ६ मुसालिया, ७ नारलाई । ३. ज्येष्ठ सुदि ४ ( ३ जून ) को बादशाह की बरसगांठ के अवसर पर रिवेन्यू - मैंबर मिस्टर डी. एल • ड्रेक ब्रोकमैन को सी० आई० ई० का ख़िताब मिला ।
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