________________
महाराजा उमेदसिंहजी पटियाला और अजमेर-मेरवाड़े में उपद्रव मचा रक्खा था। इसी से वि० सं० १९८३ की कार्तिक वदि । ( ई० स० १९२६ की ३० अक्टोबर ) को मारवाड-पुलिस के ठाकुर बख़तावरसिंह और ठाकुर कानसिंह ने सीकर-राज्य में घुस कर उसे और उसके साथियों को मार डाला । इस पर जयपुर आदि कुछ राज्यों की तरफ़ से मारवाड़ -पुलिस के लिये १३,६०० रुपये इनाम के भेजे गए ।
आश्विन और कार्तिक ( अक्टोबर और नवम्बर ) में महाराजा साहब ने मारवाड़ राज्य के देसूरी-प्रान्त का दौरा किया ।
इसके बाद ( नवम्बर में ) आप राजकीय रेल्वे के लूनी जंकशन, बाहड़मेर और गडरा-रोड़ नामक स्टेशनों, समदड़ी के नए पुल और जालोर की नई लाइन का निरीक्षण करने को गए । इस यात्रा में आपने किराडू के जीर्ण-शीर्ण परन्तु कला-पूर्ण शिव-मन्दिरों का भी निरीक्षण किया और साथ ही ऐसे स्थानों की रक्षा आदि के लिए आर्किया लॉजिकल डिपार्टमैन्ट ( पुरातत्व-विभाग ) की स्थापना की ।
इसी मास में आप दिल्ली जाकर नरेन्द्र-मण्डल की बैठक में सम्मिलित हुए ।
वि० सं० १९८३ की मँगसिर वदि ११ (ई० स० १९२६ की १ दिसम्बर) को राओ बहादुर पंडित सुखदेवप्रसाद काक, के० टी०, सी० आइ० ई०, पोलिटिकल, जुडीशल और फाइनैन्स मैम्बर ने जोधपुर-दरबार की सेवा से अवसर ग्रहण कर लिया । इस पर राओ बहादुर सरदार ज्वालासहाय मिश्रे जुडीशल-मैम्बर बनाया गया
और पोलिटिकल और फाइनैन्स मैम्बर का काम अस्थायी तौर पर रिवैन्यू-मैम्बर मिस्टर डी० एल० डेक ब्रोकमैन, सी० आइ० ई०, आइ० सी० ऐस० को सौंपा गया। साथ ही पोलिटिकल डिपार्टमैन्ट का काम तो स्वयं महाराजा साहब के तत्वावधान में रहा और बाकी के महकमे, जो पंडित सुखदेवप्रसाद काक के अधीन थे, दूसरे मैम्बरों में बाँट दिए गए । ___ वि० सं० १९८३ की मँगसिर सुदि १५ ( १६ दिसम्बर को नगर की प्रजा ने और राजनीतिक आन्दोलनकारियों ने उपस्थित होकर महाराजा साहब के सामने अपनी राज-भक्ति प्रकट की। इसपर श्रीमान् ने भी अपना प्रजा-प्रेम प्रकट कर सबको सन्तुष्ट किया ।
१. कार्तिक वदि ११ (ई. स. १६२६ की १ नवम्बर ) से फिर कर्नल स्ट्राँग (Lt.- Col. ____H. S. Strong. I. A.) रेजीडेन्ट नियुक्त हुआ। २. इसी अवसर पर पण्डित ज्वालासहाय मिश्र को दरबार की तरफ से सोना और ताज़ीम
की इज्ज़त दी गई।
५५३
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com