________________
मारवाड़ का इतिहास
इस पर वायसराय ने भी शिक्षोन्नति की इन दोनों बातों को सहर्ष स्वीकार कर लिया । तीसरे दिन प्रातःकाल वायसराय ने जोधपुर के दुर्ग का निरीक्षण किया और उसी दिन तीसरे पहर वह लौट गया ।
फागुन वदि ११ ( १७ फरवरी ) को महाराजा साहब नरेन्द्र-मण्डल (Chamber of Princes ) की सभा में सम्मिलित होने के लिये दिल्ली गए, और वि० सं० १९८५ की चैत्र सुदि ३ ( २४ मार्च ) को आपने तिलवाड़े ( मारवाड़ के पश्चिमी-प्रान्त ) के मेले में लाए गए मारवाड़ के घोड़ों और मवेशियों का निरीक्षण किया। इसके बाद गरमी का मौसम आ जाने से वैशाख सुदि १५ ( ४ मई ) को आप सकुटुम्ब उटकमंडे चले गए और वहां से द्वितीय सावन सुदि ३ (१८ अगस्त ) को, डाक्टरों की सलाह के अनुसार, स्वास्थ्य-लाभ के लिये, बंबई होकर, इंगलैंड को रवाना हो गए । इससे आपकी अनुपस्थिति में स्टेट काउंसिल के सभापति का कार्य लैटिनेंट कर्नल विंढम करने लगा। ___जोधपुर में प्राचीन काल से रिवाज चला आता है कि यदि कोई पुरुष वध किए जाने वाले बकरों आदि को लेकर शराफ़ा-बाजार से निकलता है तो वहां के महाजन लोग उन पशुओं की कीमत देकर उन्हें धर्मपुरे के बाड़े में भेज देते हैं । इसी के अनुसार वि० सं० १९८५ की ज्येष्ठ सुदि १० (ई० स० १९२८ की २६ मई ) को जब कुछ मुसलमान कुर्बानी के एक बकरे को लेकर उस खास बाजार से निकले, तब महाजनों ने दुगनी-तिगनी कीमत देकर, प्रचलित-प्रथानुसार, उस बकरे को ले लेना चाहा । परन्तु वे मुसलमान पहले से ही जान-बूझ कर गड़-बड़ मचाने पर आमादा
इसी अवसर पर वायसराय ने जोधपुर-राज्य की उन्नतिशील व्यवस्था की और अमेरिका जाने वाली भारतीय सैनिक 'पोलोटीम' को दो हुई महाराजा साहब की आर्थिक और घोड़ों की सहायता की प्रशंसा की।
___ वैशाख वदि ६ (१४ अप्रेल ) को लेफ्टिनेंट कर्नल विंढम तीन मास के लिये छुट्टी पर गया । इससे उसका काम जुडीशल और रिवेन्यू मैंबरों में बांट दिया गया । १. वैशाख सुदि १५ (४ मई) से लेफ्टिनेंट कर्नल स्ट्रांग के स्थान पर लेफ्टिनेंट कर्नल गबील
(G. H. Cabriel, c. V. 0., I. A.) यहां का रैजीडेंट नियुक्त हुआ। ___ आषाढ वदि १ ( ४ जून ) को बादशाह की बरसगांठ के अवसर पर यहां की चीफ-कोर्ट के चीफ जज राम्रो साहब कुँवर चैनसिंह ( M. A., L L. B.) को 'राप्रो बहादुर' और सरदार रिसाले के कमांडेंट लेफ्टिनेंट कर्नल ठाकुर अनोपसिंह ( M. C.) को 'सरदार बहादुर' की उपाधियां मिलीं।
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com