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सुराणादिगच्छ. (७) सुराणागच्छोपासक-सुराणा संखला, वणवट, मिटडियासोनी, उस्तबाल, खटोड, नाहार, शेष अज्ञात ।
(८) पलिवालगच्छोपासक-धोखा, बोहरा, डुंगरवाल, शेष अज्ञात ।
(६) कंदरसागच्छोपासक-खाबिया, गंग, बंब, दुधेडिया, कटोतीया शेष अज्ञात ।
(१०) सांडेरागच्छोपासक-गुगलिया, भण्डारी, चुतर, धारोला, कांकरेचा, बोहरा, दुधेडिया, शिशोदीया, शेष, अज्ञात एवं १२ गोत्र सांडेरा गच्छवालोंको के थे वह आसोपवाले खरतरगच्छीय महात्माओं को मुशाला में देदीये थे जबसे उक्त १२ गोत्रोंकी वंसावलि आसोप पोसालके महात्मा लिखते है । . इनके सिवाय मंडावरागच्छ आगमियागच्छ छापरियागच्छ वडगच्छ चित्रवालगच्छ जीरावलागच्छ द्विवन्दनिकगच्छादिके महात्मा भी ओसवालोंकि वंसावलियों लिखा करते है पर वह कीतने गौत्र और कोन कोनसे गोत्र लिखते है वह ज्ञात होनेपर आगेके अंकोंमे प्रकाशित कीया जावेगा।
उपर लिखी जातियों में संधि चोधरी बोहरा. खजांनची. कोठारी आदि के नाम बहुत से गोत्रोंमें आते है वह संघ निकाल नेसे चोधर या कोठारका काम करनेसे हुवा है और कितनिक जातियोंका एक गच्छमें नाम है वह ही नाम दूसरा गच्छमें आता है इसका कारण यातो एक गच्छवाला दूसरा गच्छवालोंको दे दीया हो जैसे सांढेरा गच्छवाले १२ गोत्र खरतरगच्छवालोंको दे दीया
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