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बाफणा नाहाटा.
( ३७ ) पुत्रोंसे सामन्तजीने वनराजके पुत्र अजयपालके पौत्र पृथ्वीराज चौहान के सेनापति 'बन काबुल के बादशाहाके साथ युद्ध कर ६ दफे बादशाहाको घाघरा ओरणी और चुडीयो पहनाके बजारमें घुमाया तबसे बाफणोंसे नाहटा जाति प्रगट हुई इत्यादि ।
समालोचना-इस घटना का समय वि. स. ११६८-६६ का स्थिर हो सक्ता है । अव्वल जवन सच्चू की १६ पीढी पूर्व पँवारों की राजधानी धारामें नहीं किन्तु उजनमें थी । दूसरा पँवारों की वंसावलीमें पृथ्वीधर राजा हुआ भी नहीं है। तीसरा उस समय जयचंद राठोड का जन्म तक भी नहीं था xx वरडियों की ख्यातमे यतिजी लिखते है कि धारा तुवरोने छीन ली थी अगर यतिजीको यह पुच्छा जाय कि जवन सच्चु वाफणा होने पर जालौर का राज तथा जयचंद राठोड के दीया हुवा ग्राम कीस कों दीया ? कारण आपका यह सिद्धान्त है कि जैन होने के बाद राज करना महा पाप है जैसे झाबको या बोथरो की ख्यात मे आपने लिखा भी हैxx क्यों यतिजी उस समय जालोर क्या सूना पडा था या कोई गाडरियों राज करती थी कि दो राजपुतोंने जालौर का राज ले सुखसे राज करने लग गयाxx जयचंद राठोड एसा डरपोक था कि अपनी फोज को पराजय करनेवाले को ग्राम इनाम का देदे । पाठकों ! असत्य की भी हद हुवा करती है यतिजीकी इतनी वातों में एक भी सत्य नहीं है देखिये इतिहास क्या कहता है ? जालौर के तोपखानामें एक सिलालेख खुदा हुवा है जिस्मे जालौर राजाओंकी वंसावली है।
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