________________
( ३६ )
बाफणा नाहाटा
" जैन जाति महोदय " आगे अभयसिंहकी सत्तरवी पीढी में लुणाक्षा हुआ लिखा वह भी मिथ्या है कारण १९९८ में अभयसिंह और १७ वी पीढ़ी तक के ४२५ वर्ष गीनने से लुगा का समय १६२३ का होता है तब १४०४ में सारंग शा देसडला का संघ लुगाशा के वहां स्वामिवात्सल्य जीमते समय लुणाशाने ५००० सोनाके थाल जीमने को दीया एक वडी भारी नामी वावडी बन्धाई सारं - गशा अपनी भतीजी लुगाशाहा को परणाई इत्यादि लुणावतों की सावलिमें विस्तारसे लिखा हुवा है लुकामत और कमलागच्छ के इस जाति के बारा में तकरार हुई जब जोधपुर अदालत से इन्साफ हो लुणावत कमलागच्छ के श्रावक है एसा परवारणा अदालत से मीला था जीसकी साबुति के लिये देखो चोरडियों की खांप में एक अन्य परवारणा की नकल इत्यादि प्रमाणों से यतियों का लखना सत्य है और लुणावत कमलागच्छ के श्रावक है । (११) बाफणा नाहाटा जांगडा बेतालादि ।
वा०लि० धारानगरी के पृथ्वीधर पँवार की १६ वी पीढ़ी में जवन और सच्चु दो नररत्न हुवे वह कीसी कारण से धारा छोड जालौर फते कर वहां सुखसे राज करने लगे आगे जो जालौर का राजा था वह कन्नोज के राठोडों की मदद ले जालौर पर धावाकीया खुब संग्राम हुवा पर कीसीका भी जय पराजय न हुवा + + निवल्लभसूरिने जवन सच्चुके खानगी आदमियोंकों एक विजय यंत्र दीया जिसके जरिये जवनसच्चु शत्रुओं को मर्दनकर भगा दीया तब जालौर और कन्नोजवाला माफी मांगी इतनाही नहीं बल्के जयचंद राठोड कन्नोज का राजा, जवन सच्चुको केइ ग्राम इनामका दे अपना सामन्त बना लिया + + वल्लभ सूरिका स्वर्गवास हो गया तब जिन दत्तसूरिने :उन दोनोंको प्रतिबोध दे जैन बना बाफाणा गौत्र स्थापन कीया पहेले जो रत्नप्रभसूरिने बाफणा बनाया था वह भी इनों के साथ मीलके खरतरा होगया + + सच्चुके २७
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com