________________
चोपड गौत्र.
(१९) था देखो उपरकी वंसावलीः न जाने यतियोंने नशाके तोरमें एसा असत्य लेख क्यो लिखा होगा ? स्यात् वरडियोंपर हुकुमत चलानी होगा कि तुमारे पूर्वजों को हमारे प्राचार्योने धन संतान दीया था पर दुर्दशातों वरडियोके घरमें जन्म लेनेवाली पुत्रीयों की है वहां सांपके कारण विचारी जन्मभर दुःखी रहेगा? परं नगरके लोगोंका अहोभाग्य है कि लक्षमणकी भिंतही उनके लिये हकीम बनगई थी न जाने विचारे वैद्य हकीमोका क्या हाल हुवा होगा ? दर असल वरडिया जाति नागपुरिया तपागच्छके श्रावक है नागोरका पुनडोष्टिने विक्रमकी बारवी सदीमें सिद्धाचलजी का वडा भारी संघ निकाला था जिसके अन्दर १८०० गाड़ीयों १००० सेजपाल १२०० बेल ५०० वाजंत्र बहुतसे साधु साध्वियां और देरासरों था वस्तुपाल तेजपाल जिनोंका अच्छा सत्कार कीया था. वहांपर चक्रेश्वरीदेवीने वरदान देनसे वरडिया जाति हुई है चामड रूणिवालभी इस जातिकी शाखावों है विशेष खुलासा वरदियोंकी वंसावलियों और महात्माओंकी पोसालोंसे मील सक्ता है। (३) कुकर चोपडा गणधर चोपड
___ वा. लि. मंडौरमें पडिहार (इंदा साखा ) राजा नांनुदे राज करता था वहां पर जिनवल्लभसूरि आये राजाने अर्ज करी कि मेरे पुत्र नहीं. सूरिजीने कहा एक पुत्र हमको दे देना में तुमको पुत्र दे देता हूं । राजाने स्वीकार कीया पुत्र हो गया परं सूरिजीका स्वर्गवास हो जानेके बाद जिनदत्तसरि आये पुत्र मंगा,राजारासिने पुत्र नहीं दीया. सूरिजी विहार कीया पर भापके प्रभावसे पुत्रको कुष्ट रोग हो गया बाद गणधर कायस्थकी भर्जसे सूरिजी वापिस पधारे कुंकडी गायका मक्खनकी मालस करनेसे पुत्र भारोग्य हो गया राजा जैन धर्म स्वीकार कीया जाति कुकड चोपडा तथा गणधर
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com