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________________ (२०) चोपड गौत्र. कायस्थ जैनी होनेपर गणधर चोपडा जाती हुइ ईत्यादि-और यति श्रीपालजी लिखते है कि वि. स. ११५२ मे जिनवल्लभसूरीने पडिहार नानुदे राजाका पुत्र धवलचंद्रका कुष्टरोग मीटाके जैन बनाया. ___ समालोचना-श्रीपालजी वि.स. ११५२ जिनवल्लभसूरि और रामलालजी जिनदत्तसूरि ११७६ के आसपास में चोपडा बनाया लिखता है इसमे सत्य कोन ? इतिहास दृष्टिसे दोनों असत्य है कारण इन दोनोंके समय न तो मंडोरमे कोइ नानुदे राजा था और न पडिहारोंमे इंदाशाखाका जन्मभी हुवाथा इतिहास कहता है किरावरघुराज ११०३ | इन सो वर्षों में नानुदे राजाका नाम निशा न तक नहीं है प्रसिद्ध पडिहार नाहाडरावने ,, सज्हाराज वि. स. १२१२ मे पुष्करका तलाव खोदा,, संबरराज याथा नाहाडरावकी पांचवी पीढीमे अमाभुपंतिराज यक राजाके १२ पुत्रों से साधकरावका पुत्र इंदासे पडिहारोंमे इंदा साखा चली इनका समय १३३४ के आसपास है य,, नाहाडराव (१२१२) तिजी! आखों बन्धकर जरा सोचना तो था कि १३३४ में इंदा साखा हुइ तब ११५२ मे इन्दा साखाका राजा नानुदेको कैसे प्रतिबोध दीया होगा यतिजीने यहभी निर्णय नहीं कीयाकि वल्लभसूरिकी पुत्र उधाई दादाजीने वसुल करी या राजाको वैसा ही करजदार रख दीया दर असल कुंकड नहीं परं कुंकम चोपडा धूपियादि उपकेश-कमलागच्छीय श्रावक हैं कुंकड चोपडा ,, अनेराज Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034521
Book TitleJain Jati Nirnay Prathamank Athva Mahajanvansh Muktavaliki Samalochana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherRatnaprabhakar Gyanpushpmala
Publication Year1927
Total Pages102
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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