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( ८ )
इतिहास नहीं लिखा पर इतिहासका खुन कीया है और अन्य लेख - कों कि हांसी करवाई है ।
प्रस्तावना
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महाजनवंस मुक्तावलि ' का इस बखत हम दो विभाग करना चाहते है (१) चमत्कारी विभाग ( २ ) ऐतिहासिक. जिसमे चमत्कारी विभागको तो हम यहां पर ही छोड़ देते है कारण कीसी भी गच्छ में प्राभाविक प्राचार्य हुवा हो वह सब जैन समाजको भक्तिपूर्वक माननीय है दूसरा ऐतिहासिक विभाग पर हम इतिहास दृष्टि से यहां पर समालोचना करेंगे |
कलिकाल का एक यह भी नियम है कि सत्यवादियों को खीर क्लेश का ही शरणा लेना पडता हैं स्यात् हमारे यति जी कि चिरकाल चली पोलका पडदा खुल जाने से या अपनीवृति का भंग होता देख अपने अन्ध भक्तों को बेहकावेगा कि देखो ! अपने दादाजी के बारे में कैसे कैसे लेख लिखदीया है ? इस के उत्तरमें मुझे पहले से ही कह देना चाहिये कि यतियोंकी उटपटांग वातों लिख मारनेसे तो मेरी श्रद्धा दादाजी से हटती है न मेरी यह श्रद्धा है कि दादाजी जैसे महान् श्राचार्य यतिजीके लिखा माफीक अयोग्य कार्य करते थे और न मैने दादाजी के बारामे ऐसा कोई शब्द ही लिखा हैं बल्के यतियोंने दादाजीपर केइ प्रकारके प्रयोग्य प्रक्षेप कीया है जैसे झाडा झपटा यंत्र मंत्रादि जिनसे स्वपर मतवाले दादाजी की हांसी करते है "कि जैनोंके पूर्वाचार्य यंत्रमंत्र झाडाझुपटा श्रौषध दवाइयो करतेथे " स्यात् यतिजी समझते होंगे की जैसे हम लोक दवाईदारू झाडा झपटा यंत्र मंत्र करते है वैसे ही पूर्वाचार्य करते थे पर यह
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