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प्रस्तावना.
(७) वाले प्रतिबोधित्त आचार्यों का नामतक भूल कृतघ्नी बन सब तरहसे दुःखी बनते जा रहे है । इन भाट भोजकोंकी कथा कहानियां या इधर उधरकी सुनी हुई वातोके श्राधारपर यति रामलालजीने भी एक " महाजन वंस मुक्तावलि " नामकी कीताब बनाइ हैं जिस्में कीतनी सत्यता है वह इस समालोचना द्वारा ज्ञात हो जायगा।
___कुदरतका अटल सिद्धान्त है कि अन्धेरा के पीछे उद्योत भी हुवा करता है ईस नियमानुसार आज पूर्वीय और पश्चिमीय विद्वानोंने शोधखोलकर प्राचीन शीलालेखों ताम्नपत्रों सिक्कानो और प्राचीन ग्रंथो मादि इतिहास सामग्रीद्वारा अनेक पुस्तकों छपाके जनता के आगे रखदी है जिससे भाट भोजकोंकी कल्पित कथाओं तो क्या पर चंदवरदाई के नामसे लिखा हुवा पृथ्वीराजरासा जैसा सर्वमान्य प्रन्थको भी एक कौनेमे विश्राम लेना पड़ा तो हमारे यतिमीकी लिखी महाजनवंसमुक्तावलि के लीये तो खारा समुद्र के सिवाय अन्य स्थानही कोनसा है की जहांपर विश्राम ले !
यतिजीको ध्यान रखना चाहिये कि "बाबावाक्यं प्रमाणम्" का जमाना अस्ताचल पर चला गया और सत्यका सूर्य उदयाचल पर प्रकाश कर रहा है एसा प्रकाशका जमाने में आपकी कल्पित कहानियोपर साक्षरलोग स्यात् ही विश्वास करेंगे यतिजीने खरतर श्रीपूज्यों मा वडा उपाश्रय का नाम लिख जनता को धोखा दीया है दरियाफत करने पर ज्ञातहुवा की नतों एसा गप्पोंका खजाना श्रीपूज्यों के पास है ! म वडा उपाश्रयमें है सिर्फ उक्तस्थानोंको कलंकित करनेको ही नाम लिख मारा है यह कहना भी अतिशयोक्ति न होगा कि यतिजीने जैमोका
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