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________________ ७३ " " तो स्मरण करवाने योग्य छे, अने तीर्थंकर महाराजाओना नामने याद करी दिन दिन प्रति स्मरण पण करीये छीये, । अने तेज सीर्थकर महाराजा ओन स्थापना निक्षेप रूप मूर्त्तिने वंदन करवाना अधिकारीयो साधु वदन पण करे छे, अने वंदन, पूजन, करवाना अधिकारीयो श्रावको, वंदन, अने पूजन, ए बन्ने पण करे छे, । अने तेज तीर्थकर पढ़ने प्राप्त थयेला, प्रथम चोवीशांना तीर्थकरोने ' द्रव्यनिक्षेपथी पण ' मान्य करी स्मरण आदि करीये छीये, । अने तेज तीर्थंकर पदने प्राप्त थवावाला तीर्थकरोनी चोवीशीने, द्रव्य निक्षेपना आधारे स्मरण आदि सहा करीये छीये ॥ अने ज्यारे' भावनिक्षेपरूप तीर्थकरोनो' समागम थासे त्यारे तेमनी पण भक्ति करवा चुकीस्युं नही. ॥ तेमां पण विशेष एज छे के, जेवी रीते आज तेमना नाम निक्षेप उपर प्रेम छे, अने तेमना स्थापना निक्षेप उपर प्रेम छे, अने तेमज तेमना ' द्रव्य निक्षेप ' उपर प्रेम छे, तेवी रीतनो प्रेम तेमनी हयातमां रेहसे तोज भक्तिनो लाभ लइ सकी शुं. । अगर जेवी रीते आज तमो ' 'त्रण निक्षेप' उपर अभाव पशु कहींने बतावो छो, तेवी रीते अमो पण तेमणा त्रण निक्षेप तिरर्थक कहीने अभाव प्रगट करी बतावी शंतो ते, भाव तीर्थकरनी भक्तिनो लाभ पण मेलवी सकी शुं नहिज, । परंतु निश्चय थाय छे के, ज्यारे अमोने तेमना 'त्रण निक्षेप' उपर प्रेम छे, अने मनी भक्ति करवाने तत्पर छीये, तो तेमना भाव निक्षेप नी भक्ति करवाने पण भाग्यशाली थइ सकीस्युं ? || परंतु तमारी तरां ' ऋण निक्षेपने' अवथ्थु ' कही चोथा भाव निक्षेपने पण अवथ्य केहवानो प्रसंग आववा दइ शुं नही ? | वास्ते जे चीजनो Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034494
Book TitleDharmna Darwajane Jovani Disha Athva Tattvatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherAmarvijay Jain Pathshala
Publication Year1907
Total Pages218
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size9 MB
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