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वाडीलाल अत्रे आपणे *नी बीजी टीपमा लखे छे के । दुनियामां जेटली चीज छे तेटली बंधी कबुल करवा छतां, पुजवा योग्य होइ शके नहि, तेमज निक्षेप चार छे ते चारने
पूजे तोज निक्षेप चार कबुल राख्या एम साबीत यतुं नथी । जैनो कहे छे के, केटलीक चीजो ज्ञेय, उपादेय, अने हेय, माटे निक्षेप एक बे नहि पण चार छे एम कबुल राखनारा माणसे, स्थापना निक्षेपने, उपादेय तरीकेज कबुल राखवो जोइए एवं कहेनारा. मात्र पोतानेज उगे छे. ॥
पूज
हवे एना उपर विचार || दुनियानी बधी चीजो पूजवाने योग्य छे एम कोइए कहां पण नथी, तेम को पूजतं पण नथी, ए तमारो लेखज अयोग्य छे । तेम बधी चीजोना चार निक्षेपने ' पूजवा एम पण कोइ शास्त्रकारे वतान्युं नथी, आ. लेखमां केवल समज्या वगरज आपणी अकलनो घोडो दोडाव्यो छे. । केमके, न तो शास्त्रकार सर्व चीजोना ' नाम निक्षेपने ' वानुं कहे छे, अनेन तो सर्व चीजना ' स्थापना निक्षेपने ' पूजवानुं कहे छे, तेमज न तो सर्व चीजना 'द्रव्य निक्षेपने ' पूजवानुं कहे छे, । अने तेमज सर्व चीजोना 'भाव निक्षेपने' पण पूजवानुं कहेता नथी । तो पछी शा वास्ते समज्या वगर आवा विपरीत लेखो लखी लोकोने भ्रमित करो छो ? ते कांइ समजातुं नथी, शुं तमोने वीतराग देव उपरज द्वेष थवाथी आवा विपरीत लेख लखो छो ? || वो शास्त्रकारनी मान्यता शुं छे तेनो विचार करो, ॥
शास्त्रकारनी मान्यता एछे के, जे चीजनो नाव निक्षेप ' अमारे स्मरणीय, वंदनीय, अने पूजनीय छे, तेनो नाम निक्षेप
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