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जे तीर्थकरोनां, नाम छे, ते नाम-निक्षेप, न कहेवाय पण ' नाम संज्ञा' कहेवाय, अन्य कोइमां नाम आपीए त्यारे ते 'नाम निक्षेप ' कहेवाय.॥ ____ अने सूचना बीजीमां लखे छे के, खुद तीर्थकरो बीराजता त्यारे नाम तो हाल छे तेज धरावता पण ते ' नाम निक्षेप' कहेवाय नहि. 'भाव निक्षेप ' कहेवाय. ___अने चार निक्षेपनी* प्रथमनी टीपमां लखे छे के, निक्षेप आरोप, ते, अथवा आरोहण, कोइ चीजमां बीजी चीजनो गुण आरोपवो ते. ॥
हले एमां विचार करवानो ए छे के, सूत्रकारे एक आवश्यक क्रियारूप वस्तुमां, जेवी रीते 'चार निक्षेप' उतारीने बताव्या, तेवीज रीते ‘सर्व वस्तुमां' चार निक्षेप उतारवाना छे, ॥ अने सूत्रकारे प्रथम गाथामां पण तेज बताव्युं छे के, जो वधारे जाणवामां न आवे तोपण 'चार निक्षेप' तो वस्तुमां जरुर उतारवा, एम कहीने एक 'आवश्यक क्रियारूप वस्तुमां, उतारीने पण बताव्या, ॥ अने दुनीयामां जे जे, जीव, अजीवादिक, वस्तु छ, अथवा उत्पन्न थाय छे, तेनी समज तेमां नामनो निक्षेप थया पछीज थाय छ, । कोइक वस्तुमां तो नामनो निक्षेप ते शब्दना गुण पूर्वक थाय छ, । अने कोइक वस्तुमां शब्दना गुण विना पण नामनो निक्षेप करी शकाय छे, जेमके विमानना अधिपति थवावाला देवतामा 'इंद्र' नामनो निक्षेप करवो ते, शब्दना गुण पूर्वक नामनो निक्षेप छे, अने गृज्जरना पुत्रमा 'इंद्र' नामनो निक्षेप छे ते, शब्दना गुण विना नामनो निक्षेप करेलो छ, ।
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