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________________ बनावी सकाय छे ।। अहीं आवश्यकना विषयमां, सूत्रना अक्षरोनी, तेमज आवश्यकनी क्रिया करवावाला एक साधुनी स्थापना बनावो, अथवा अनेक साधुनी स्थापना बनावों, ते मरजी उपर बात छे । नाम निक्षेप, अने स्थापना निक्षेपमां, फरक एटलोज छ के, नाम यावत् काल, (एटले एकवार पाडयुं के बस छे) अने स्थापना, थोडा काल वास्ते पण करी शकाय छ, । अने यावत् काल तक पण करी सकाय (एटले एकवार करी ते करी, फेर बदल करवानी कंइ जरुर नही.) ॥ हवे अहीयां स्थापना निक्षेपनो तात्पर्य कही बतावीये छे. ॥ आ स्थापना निक्षेपना सूत्रनी रचना करतां शास्त्रकारे, प्रथमथी ज आवश्यक सूत्र, अने आवश्यकनी क्रिया करवावाला साधुनी ' स्थापना ' प्रगट करवाना अभिपायथी ज, सूत्र रचनानी प्रवृत्ति करेली छे. । केमके काष्टादिक जो दश प्रकार, स्थापना करवाना बतान्या छे तेमां, आवश्यक सूत्रनो लेख करवानी पण सवडता छे, अने साधुनी मूर्ति करवानी पण सवडता आवेली छ. । अने 'ए गोवा अणे गोवा' ए सूत्रना वाक्यथी साधुनी स्थापना ज प्रगट करवानुं जणावेलुं छे.॥ ___ अमारा लेखथी ढूंढक भाइयो मनमा शंका लावशे, परंतु शंका करवानी जरुर नथी.॥ जूवो सत्यार्थ चंद्रोदय पृष्ट. ४ था मां, ढूंढनी पार्वती पण एज अर्थ लखी बतावे छे, परंतु समजी शकी नथी. ॥ प्रश्न. स्थापना आवश्यक क्या ? उत्तर, काष्टपै लिखा, चित्रोंमें लिखा, पोथी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034494
Book TitleDharmna Darwajane Jovani Disha Athva Tattvatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherAmarvijay Jain Pathshala
Publication Year1907
Total Pages218
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size9 MB
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