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________________ इच्छा पूर्षक, अस्तुनुं नाम आप जेमके गोल मोल आदि ते, बि. जा प्रकारथी नामनो निक्षेप गणाय छे. ३ ॥ एम त्रण प्रकारना लक्षणथी नामनो निक्षेप थाय छे. ॥ इति नाम निक्षेपy लक्षण संपूर्ण ॥ ॥ हवे बीना स्थापना आवश्यकतुं सूत्र. सेकिंतं ठवणावस्सयं २ जण्णं कठकम्मे वा, पोथकम्मे वा, चिंत्तकम्मे वा, लिप्कम्मे वा, गंथिकम्मे वा, वेढिमे 'वा, परिमे वा, संघाँइमे वा, अख्खे वा, वराडएं वा,। एगो वा, अणेगो वा, सम्भाव ठवणा वा, असभ्भाव ठवणा वा, आवस्सएत्ति ठवणा ठविजइ,सेतं, ठवणावस्सयं ॥२॥ नाम ठवणाणंको पइ विसेसो, णामं आवकहियं, ठवणा इतरिआ वा, आवकहिया वा. । ... ॥ अर्थ-प्रथम अहिं समजवा, ए छेके, आवश्यक सूत्रनी, तेमज आवश्यकनी क्रियाना करवा वाला साधुओ क्रिया कारकनो अभेद मानीने पण आवश्यकनी स्थापना करी सकाय छे, अने सूत्रकारनो पण एज अभिप्राय छे. ॥ ____ काष्टमां. १ चित्रमा २ पत्रादिना छेदमा. अथवा लेख मात्रमा ३ लेपकर्ममां ४ गूंथनीमां ५ वेष्टन क्रियामां ६ धातुना रसनी पूणी मां ७ अमेक मणिकाना संघातमा ८ चंद्राकार पाषाणमां ९ कोडीमां१०॥ ए दक्ष प्रकारनी वस्तुमाथी गमे ते एक प्रकारमा स्थापना Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034494
Book TitleDharmna Darwajane Jovani Disha Athva Tattvatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherAmarvijay Jain Pathshala
Publication Year1907
Total Pages218
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size9 MB
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