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________________ माटे जैनमार्गमां मुख्यरूपे प्रमाण बेज मोनलां छे. परंतु त्रीजु प्रमाण, मानेलं नथी. केमके, बीजां वधां प्रमाण, तेना पेटा भागमां समावेश थाय छे. माटे मुख्य पणे भिन्न रूपथी प्रमाण मानेखेंज नथी तो पछी, वाडीलाल शाह, अने तेमनी शंकानुं समाधान करवावाला, मणिलालजी महाराज, तथा रायचंद्रजी श्रावक, प्रत्यक्ष अनुमान, उपमा, अने आगम, । एम चार प्रमाण मुख्यरूपे कया जैन सिद्धांतथी खोलीने लाव्या ? ते काइ समजायुं नही. केमके हुं नथी धारतो के, जैन शैलीथी लखायेला लाखो ग्रंथोथी पण, तमारां लखेलां, चार प्रमाण मुख्यरूपथी मली आव.। आ लेख उपरथी विचार करो के, जैन तत्वो विषे तमारी समज केटली छे, अने तमारी हद पण केटली छे, तेनो विचार कर्याविना एकदम महापुरुषोने निंदी कहाडो छो, ते तो तमो तमारी पात्रतापणानेज प्रगट करो छो, अमारे ते वधारे लखवू स्युं. आ लेखमां विचारो घणा स्फुरायमान थाय छे परंतु ते न लखतां आ विषयने इहांपर समाप्ति करीने, नयोना विषयमां थयेली गफलतता बतावीये छे. ।। ॥ इति चार प्रमाण विपये तत्वाऽतत्व विचारः॥ ॥ हवे नयोना विषयमा तत्वाऽतत्व विचार करी बतावीये छे. ॥ पृष्ट. ७८ ओ. १० मीथी.--वाडीलाल लखे छे के ५-६-७ शब्दनय, समभिरूढनय, अने, एवंभतनय.--ए त्रण नयवाला माणस, नाम, स्थापना, द्रव्य, ए त्रण निक्षेपने अवथ्थु (अवस्तु)मानछे पृट. ८४ थी ते. ८६ तक ज्ञान उपर सातनयो उतारी बतावी. ते.॥ विचार-तमोए लख्यं के, शब्दादि त्रण नयवाला माणस, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034494
Book TitleDharmna Darwajane Jovani Disha Athva Tattvatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherAmarvijay Jain Pathshala
Publication Year1907
Total Pages218
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size9 MB
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