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________________ ३० जे निश्चयज्ञान छे, तेज भावज्ञान छे, अने जे भावज्ञान छे, तेज निश्श्य ज्ञान छे, ए शिवाय बीजो अर्थ करीने बताववो, तेतो जैन मार्गनी शैलीथी भिन्न पडीने, महापुरुषांना आशयने समज्या वगर, भसवा जें थाय छे. अने, नंबर, २ नुं व्यवहार ज्ञान । ३ जानुं द्रव्य ज्ञान. | तेमज नंबर. ११ मा नुं द्रव्य ज्ञान. जे तमोए भिन्नरूपथी वर्णन करी बतायुं छे, ते पण अजान वर्गने भ्रमित करवानुं करेलुं छे. । केमके वीजा नंबरमां, द्रव्य ज्ञान, अने अगीयारमा नंबरमां पण, द्रव्य ज्ञान, शब्द पण एक, अने विषय पण एक, तेमां फरक केम करी शकाय ? अने वखत पण एक, तो पण अर्थमा फरक करीने aalaat आते धिठाइ कया प्रकारनी गणवी ? । ते कांड समजातं नथी । शुं ? समज्या वगरज मोटा मोटा लेख करवा मंडि पडेला छो के ! अमो तो एज कहीये छे के, आ लेखनो लखनार, तेमज बतावनार पण, जैन मार्गनी शैलीथी तदन अजाण अने अर्ध दग्ध थलाएज जैन मार्गथी विपरीत थइ, आपणी मृढपणानी चातुरीज प्रगट करेली छे. ॥ आ विषयमा समजवानुं एछे के, ज्ञानी पुरुषो, ज्यारे तत्वोनो विचार करवामां उतरी पडता हता, त्यारे विवक्षाना वश थ, निश्चय शब्दनी साथे व्यवहार शब्दने जोडीने, निश्चयना पढ़ाथोंने निश्चयमां, अने व्ययहारमां दाखल करवाना पदार्थोंने व्यव हारमा, दाखल करी, सर्व पदार्थोंने बन्ने रूपमा भिन्न भिन्नपणे करीने मुकी देता हता. । अने एज प्रमाणे द्रव्य शब्दनी साथे भाव शब्द ने जोर्डाने, द्रव्य रूपना पदार्थोंने द्रव्यमां, अने भावरूपना पदार्थाने भावमां, वहेंचण करीने मुकी देता हता, । अने ज्यारे विशेष विशेषना विचारमां उतरी पडता त्यारे, विशेष कया, अने Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034494
Book TitleDharmna Darwajane Jovani Disha Athva Tattvatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherAmarvijay Jain Pathshala
Publication Year1907
Total Pages218
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size9 MB
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