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________________ १७७ वास्ते सम्यक्त्व छे तेज एक धर्मनो दरवाजो छे, अने तेनुज वर्णन, अमारा ढूंढकभाइये, आपणी चोपडीमां सविस्तर पणे, सर्व आचार्योथी निरपेक्ष थइ, उलट पालट करी. आपणी मात कल्पनाने आगळ करीने लखी बताव्यु. । आवा मुख्य विषयनो लेख लखतां एमने, कोइपण सिद्धांतादिकनो आधार न बतावतां, मात्र आपणीज मातने आगल करी मुकी, तो शुं ? एमणेज आ धर्मनो दरवाजो खोलीने बताव्यो छे के ? कोइ पूर्वना महान् महान् आचार्यो आ धर्मना दरवाजो खोलीने बतावता गया छ ? आ वात शुं भव्यामाने जाणवा योग्य नथी ? वास्तेज कहीये छीये के, जो एकाद महापुरुषतुं पण नाम आगल करी, आ सम्यक्त्वना विषयने लखीने बतावता तो, अमोने पण फरी पुछवानी जरुर न पडती, अने तमारो लेख पण मान्यतारूपे थइ पडतो, परंतु तमोए तो लेख लखनां एके आचार्यतुं नाम ना आप्यु, तेथी अपो एम कहीये छीये के, तमो ढूंढको सम्यक्त्वना स्पर्श मात्रथी तो दूर थया छो तेमां तो, काइ नवाइ जेवूज नथी, परंतु सम्यक्त्वना भेदोना यथावत् ज्ञानपणाथी पण दूर थयेला छो ? तेथीज उलट पालट पणे आपणी मति कल्पनाथी, विपरीत लेख लखीने बतावो छो, अने नतो कोई सिद्धांतनी पण साक्षी लखी बतावो छो, तेमज नतो कोइ आचार्यपण नाम लखीने बतावो छो, तेमज नतो कोइ ग्रंथ मात्रनी पण साभी बतावो छो, वास्ते आवा पाया वगरना लेखने तो, कोइ तमारा जेवा जैन मतनीश्रद्धाथी दूर थयेला हशे तेज मानी लेशे ? परंतु खरा जैन धर्मनी प्राप्तिनी इच्छा वाला तो, कोइ दिन पण तमारा लेखनो आदर करसे नही ? ॥ केमके जे सर्व जैन धर्मनी प्राप्तिनुं मुख्य साधन, अथवा सर्व प्रकारथी आत्मिक धर्मनी प्राप्तिनुं मुख्य साधन रूप, सम्यक, छे तेनो विचार सर्व महापुरुषोथी निरपेक्ष थइ, तमारा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034494
Book TitleDharmna Darwajane Jovani Disha Athva Tattvatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherAmarvijay Jain Pathshala
Publication Year1907
Total Pages218
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size9 MB
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