________________
निक्षेपोना पाठनी साथे, मेळवीने विचार करवावाला विचक्षण पुरुषने, सहजपणे समजाइ आवशे. ___आ कंकोत्तरी, लखीने बताववान प्रयोजन एटलुंज हतुं के, जेटली बाह्य क्रियाओ छे, ते बधी त्रण निक्षेपना विषयथी, उपरांतनी छेज नही. । अने ए सर्व बाह्य क्रियाओने भाव निक्षेपना कारण रूपे मानेली छे, तेथी त्रण निक्षेपना विषय रूपनी क्रियाओ, निरर्थक, अने उपयोग विनानी नथी, आतो गुरुज्ञान विनानी दूंढनी पार्वतीने, अने इंढक वाडीलालने, केवल मूढता प्राप्त थयेली छ. । तेथी बधु विपरीते विपरीत जोयु छ । आ अनुयोगनो विषय, महा गहन छे, अने गणधर महाराजाओनी महा गंभीर दृष्टिथी लखायेलो महा गंभीर छ, अने ए सूत्र जैनना. सर्व तत्त्वना विषयर्नु सूचनारूपे मुळ कारण होवाथी मुळ सूत्र रूपे मानेगुं छे, वास्ते मोहने प्राप्त न थतां, परंपराना विचक्षण पुरुषोनी पासेथी, ज्ञान मेळवीने अद्वैत आनंद सागरमा गरकाव थवा जेवू छे. । हु क्यां सुधी लखीश. इत्यलं विस्तरेण.
॥ इति श्री मद्विजयानंद सूरीश्वर लघु शिष्येनाऽमर मुनिना जेनी क्रिया संबंधि निक्षेप विचारः संकलितः ॥
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com