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________________ ९९ हे है. । यथा नाम निक्षेप १ । स्थापना निक्षेप २ | द्रव्यनिक्षेप ३ । भावनिक्षेप ४ || ढूंढनीना आ लेखथी, अने वाडीलालना लेखथी, विचार करवानो एछे के, - वाडीलाल छे ते चारनिक्षेपने 'अरिहंत शब्द उपर ' लागु पाडवाना कहे छे, । अने ढूंढनी पार्वती छे ते, वस्तुना ' चारनिक्षेप' करवाना कहे छे ते, आ एक मतवाला ढूंढक, वाडिलाल, अने ढूंढनी 'पार्वती' होवा छतां. अने अनुयोगद्वार सूत्र छे ते पण एक छे, तोपण एक तो बतावे छे आकाश, अने एक बतावे छे तेने पाताळ, हवे ए ढूंढकोने, आ चार निक्षेपोना विषयमां केवा प्रकारनुं ज्ञान थयेलुं समजवं ? आबन्ने एक मतनां होवा छतां विरोध ए थयो के, C वस्तु तो जुदी जुदी ' बतावी वाडीलाले, अने अरिहंत रूपशष्टमां चार निक्षेप, उतारवानुं कही बताव्यं । अने ढूंढनी, एकज वस्तुमां उतारवाना ' चारनिक्षेप ' कहे छे, त्यांरे मेळ केवी रीते मेळववो ? तेनो मेळ, वाचक वर्गज, मेळवीने आपशे, तो पण अमारे संतोषज छे. केमके अमाराथी एवा जुठा मेळो, मळी शकता नथी, अने उत्तर पण क्यां सुधी लख्या करीये. ॥ अहिं सूत्रकारनो मत ए छे के, एक वस्तुमांज 'चार निक्षेप' लागु पाडवा, जेमके आवश्यक क्रियारूप, 'एक वस्तुमां लागु पाडीने बताया । तेमां सूत्रकारे, आवश्यक सूचनो, १ नामनिक्षेप - जीव, अजीवादिक, वस्तुमां, करवो कह्यां, तेथी आवश्यकथी बीजी वस्तुमां नामनिक्षेप थवानी भ्रांति थाय छे. ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034494
Book TitleDharmna Darwajane Jovani Disha Athva Tattvatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherAmarvijay Jain Pathshala
Publication Year1907
Total Pages218
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size9 MB
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