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[प्राक्कथन पर परिमित था । और इनकी राजधानी प्रथम पूरी में और पश्चात् श्रीस्थानक (थाना) में थी। इनका राजकीय विरुद महा सामन्त था और प्रारंभसे ही राष्ट्रकूटोंके भाधीन थे। राष्ट्रकूटों के उत्पाटन पश्चान् इन्होंने क्षणिक स्वातंत्र्यका उपभोग किया परन्तु चौलुक्योंने इन्हें सीवही पराभूत कर अपने स्वाधीन किया था। अन्ततोगत्वा इनकी वंशावली निम्न प्रकारसे प्राप्त होती है। और इसका राज्यकाल शक ७३५ से लेकर ११८२ पर्यंत ४४७ वर्ष है।
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मल्लि का र्जुन अपरा दि त्य के शि दे व सो मे स्वर
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