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[ ५०६ ] तणंकालेणं तेणंसमएणं समणे भगवं महावीर तिणाणोव नते आविहोत्था साहरिज्जस्सामिति जाणति साहरिज्जमाणे ण जाणति साहरितेमिति जागति ॥ तेणं कालेणं २ समणे प्रग महावीरे जेसे वासाण तच्चे मासे पंचमेपक्स आस्सोय बहुले तेरसीय पक्रण बासीतिराइन्दिएहिं वितिक्कतेहि तेसीतिमस्स रातिदिवस अंतरावहमाणेहिं आणुकंपएण देवेण महाण कुडगामाओ । जाव। अद्धरत्तकाल समयसि हत्थुत्तराहिं णक्वं तेण अब्वाबाहं अब्वा बाहेण देवाणंदाए कुच्छोउति तिसलाए कुच्छिंसि साहरिते ॥इत्यादि। इसके आगे फिर चौदह स्वप्नादिकका और जन्मादिका वर्णन है
और अब हरवर्षे बंचाता हुआ सुप्रसिद्ध श्रीकल्पसूत्रका पाठ दिखाता हूँ सो नीचे मुजब है यथा
तेण कालेण तेण समएण समणे भगवं महावीरे जैसे गिलाण चतत्थे मासे अढमे पख्खे आसाढसुद्धे तस्सणं आसाढसुद्धस्स बट्ठी पख्खेण महाविजय पुप्फुत्तर पवर पुंडरी याओ महा विमाणाओवीसंसा गरोवम द्विइयाओ आउरुख एणं भवरूखएणं ठिइरुखएण' अणतरं चयं च इत्ता इहेव जंबुद्दोवे दीवे भारहेवासे दाहिणढ्ढ मरहे इमीसे उसप्पि णीए, सुसम ससमाए समाए विरकंताए, सुसमाए समाए विताए, सुसम दुसमाए समाए विद्रकंताए, दूसम सुसमाए समाए बहु विक्वंताए, सागरोवम कोडा कोडीए बायालीस वास सहस्से हिं कणिआए पंचहत्तरि वासेहिं अद्ध नवमेहिय मासेहिसेसेहि-इकवीसाए तित्थयरेहि इरूखाग कुल.. समुप्पनहिं कासव गुत्तेहिं, दोहिय हरिवंसकुल समुप्पनहिं गोयमस्सगुत्तेहिं तेवीसाए तित्थयरेहि विन
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