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तेहिं, समणे भगवं महाबीरे चरम तित्थयरे पुव्वतिरथयर निट्ठेि, माहणं कुङग्गामे नयरे उसमदत्तस्स माहास्स कोडree गुत्तस्स भारिआए देवाणं दाए माहणीए जालधरसगुताए पुरता वरत्तकाल समयंसि हत्थत्तराहिं णरूखशेण जोग मुखागएवं आहारवक्कतीए भववकुंतीए सरीर वक्तीए कुच्छिंसि गम्भत्ताए वक्कते ॥ समणे भगवं महाबीरे तित्राणोब गए आबिहुत्या-चइस्तामिति जाराइ, चयमाणे न जाणई चुएभित्ति जाइ,
इसके आगे चौदह स्वप्न नमुत्थुणं वगैरह की व्याख्या है और फिर देवानंदाकी कुक्षिसे त्रिशलाकी कुक्षिमें स्थापन करनेको गर्भ हरणसे गर्भ संक्रमण रूप दूसरा च्यवन कल्या एकका पाठ नोचे मुजब हैं यथा
तेणं. कालेणं तेणं समएणं समो भगवं महावीरे तिबालोधगए आविहुत्था- साहरिज्जिसामित्ति जावई, संहरिएम माणे न जाणइ, साहरिएमित्ति जाणइ ॥ तेण कालेण ते समएण समणे भगव महावीरे जेसे वासाणं तच्चे मासे पंचमे परखे आसोअ बहुले, तस्वणं आस्तोय बहुलस्स तेरसीपख्खेण बातोइइन्दिएहि विइकु तेहि तेसीइमस्स राइदिअस्स अंतरावहमाणेहिं, आणुकंपएण देवेा हरिणेगमे सिणा सक्कश्यण संदिट्ठ ेणं माहण कुङग्गानाम नयराओ उस प्रदत्तस्व माहणस्स को डालस गुत्तस्स भारिमाए देवाण' दाए माइणीए जालंधरस गुप्ताए कुच्छीओ खत्तिय कुंडग्गामे नयरे नायाणं खत्तियां' सिद्धत्थस्स 'खत्तिमस्स कासव गुत्तस्स भारिभाए तिसलाए खन्ति मानीए वासिस गुप्ताए पुरता वरप्तकाल समयंसि इत्युत्तराहि
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