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अचौर्य-अणुव्रत व्यक्ति अणुवती हो जाये तो व्यावहारिक जीवन कितना विशुद्ध और ऊँचा हो सकता है।
स्पष्टीकरण व्यापारीका आदेश मिला, इस भाव तक तुम इतना माल खरीद सकते हो, यदि उससे नीचे भावमें खरीदकर निर्दिष्ट भाव लगाया जाता है तो उक्त नियममें बाधा आती है।
गांठ-बंधाई आदिके दाम यदि बाजारकी प्रचलित प्रथाके अनुसार काटे जाते हैं तो नियममें बाधा नहीं मानी जायगी।
यदि किसी व्यक्तिने कंठहार, अंगूठी व अन्य कोई भी वस्तु निश्चित दर बताकर अणुव्रती दलालको बेचनेके लिये दी तो अणुव्रती यदि यह स्पष्ट कर लेता है कि आपकी कीमतसे यदि ऊँचे मूल्यमें बेच सका तो वह लाभ मेरा होगा तो वह बीचमें खाना न माना जायेगा।
नियममें यद्यपि सौदे में कटौतीन करनेका निषेध है तो भी उपलक्षण से किसी भी कार्यमें बिना हकके पैसे बीच में खा लेनेका निषेध हो जाता है।
१३-चोरीकी वस्तु न खरीदना और चोरको चोरी करने में सहायता न देना। ___ चोरीकी वस्तु खरीदना राजकीय अपराध भी है और चोरी जैसे घृणित कार्यको प्रोत्साहन भी । बहुतसे व्यक्ति सस्ती देखकर तत्प्रकारकी वस्तुको खरीदनेमें बड़े तत्पर रहते हैं । अणुव्रती यह जान लेनेपर कि यह वस्तु चोर-वृत्तिसे उठाकर लाई गई है, उसे नहीं खरीद सकता।
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