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अणुव्रत-दृष्टि शिक्षित, अशिक्षित, गूंगी या बहरी है, माता पिताको धन मिलना चाहिये। अधिक बतानेकी आवश्यकता नहीं, प्रत्येक सविवेक व्यक्ति स्वतः समझता है, यह कितने मानसिक पतनका परिणाम और सामाजिक कुप्रथाकी पराकाष्ठा है। अणुव्रती किसी भी स्थितिमें इस अमानवीय प्रवृत्तिका आचरण नहीं करेगा।
७-(पुरुषोंके लिये ) एक अंगूठीके अतिरिक्त आभूषण न पहनना ।
(स्त्रियोंके लिये ) धर्मस्थानमें १३ तोलेसे अधिक सोना एक साथ न पहनना।
स्पष्टीकरण-घड़ी, बोताम आदि आभूषणमें नहीं माने गये हैं।
नियम सादगीका सूचक है । अंगूठीकी अबाधकता कुछ तत्व रखती है, बहुतसे लोगोंका ऐसा परामर्श रहा। यद्यपि अंगूठी आभूषण है, अणुव्रतीके लिये इसका अपवाद न भी हो तो भी ऐसी कोई बात नहीं है किन्तु यह एक विशेष आवश्यकता भी रखता है। यात्रा आदि प्रसङ्गोंमें कई बार रुपये पैसे आदि खो जाते हैं, लूट जाते हैं या व्यक्ति स्वयं किसी कारणसे इधर उधर रह जाता है, ऐसी स्थितियोंमें अंगूठीका बहुत बड़ा उपयोग होता है, वैसे किसी भी आभूषणका उपयोग हो सकता है पर छोटेसे छोटा और व्यवहारोचित आभूषण अंगूठी ही है अतः इसकी अवाधकता रखनी आवश्यक समझी गई। __ यह प्रतिबन्ध केवल पुरुषोंपर ही है। स्त्रियोंके विषयमें भी कोई उचित प्रतिबन्ध आवश्यक था किन्तु विभिन्न वेष-भूषा, विभिन्न रहनसहन आदिको ध्यानमें रखते हुए आचार्यवरने यह विषय विचाराधीन ही रखा था। एक अस्थायी नियम अणुव्रती-संघके हांसी अधिवेशनपर आचार्यवरने निर्धारित किया है जो उक्त नियमका एक अङ्ग बन ही चुका है। ___ महिलाओंमें गहनेका अनुराग अधिक है। उन्हें गहना कम पहनने की बात अधिक प्रिय नहीं लगती। इस नियमसे उन्हें इस दिशामें
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