SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 91
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 74 जीव-अजीव तत्त्व एवं द्रव्य और कमरे की खिड़की को थोड़ा-सा खोल दिया जाय तो कुछ ही दिनों में यह दिखाई देगा कि पौधों के सिरे उसी ओर मुड़ गये हैं जिधर से प्रकाश आ रहा है। प्रयोग 2.-एक अंकुरित चने को एक आलपिन द्वारा एक बोतल के कार्क में जड़ नीचे की ओर लटकती रखकर लगा दिया जाय। इस बोतल को उलट कर ऐसे बक्स में बंदकर दिया जाय सके ऊपर से कुछ छेदों द्वारा प्रकाश आता हो। इस स्थिति में चने की जड़ ऊपर की ओर प्रकाश की तरफ होगी। कुछ दिनों के पश्चात् आपको ज्ञात होगा वह जड़ अपने आप ही मुड़ गई है और प्रकाश आने की विरुद्ध दिशा में बढ़ने लगी है। पौधों की इस प्रकृति के कारण उनके तने सदा भूमि से ऊपर प्रकाश की ओर व जड़े जमीन के अंदर प्रकाश से विरुद्ध अंधकार की दिशा में बढ़ती है। डाइड्रोट्रापिज्म-जिधर जल की मात्रा अधिक मिलती है, जड़ें उधर ही मुड़ जाती हैं। यदि किसी पौधे को एक ओर जल से सींचा जाय और दूसरी ओर सूखा ही रहने दिया जाय तो पौधों का बहुत बड़ा भाग मुड़कर जल वाले भाग की ओर बढ़ने लगेगा। जियोट्रापिज्म-जिस प्रकार मनुष्य पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति से परिचित होने से पैर पृथ्वी की ओर और सिर अंतरिक्ष की ओर रखता है, उसी प्रकार वृक्ष भी गुरुत्वाकर्षण शक्ति के प्रभाव से परिचित होते हैं। वे अपने पैर (जड़ें) धरती की ओर और धड़ (तना) अंतरिक्ष की ओर रखते हैं। उदाहरण के लिए किसी पर्वत की ढलान वाली भूमि पर उगे हुए चीड़, देवदारु आदि के किसी वृक्ष को देखिए। वह वृक्ष ढलान वाली सतह के
SR No.034365
Book TitleVigyan ke Aalok Me Jeev Ajeev Tattva Evam Dravya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherAnand Shah
Publication Year2016
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy