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________________ प्रत्याख्यान सूत्र 279} परिशिष्ट 7 प्रत्याख्यान सूत्र ।। नवकारसी ॥ उग्गए सूरे णमोक्कारसहियं पच्चक्खामि, चउव्विहं पि आहारं-असणं, पाणं, खाइमं, साइमं । अन्नत्थऽणाभोगेणं, सहसागारेणं वोसिरामि। ॥ पौरुषी ।। उग्गए सूरे पोरिसिं पच्चक्खामि, चउव्विहं पि आहारं-असणं, पाणं, खाइमं, साइमं । अन्नत्थऽणाभोगेणं, सहसागारेणं, पच्छन्नकालेणं, दिसामोहेणं, साहवयणेणं, सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं वोसिरामि । ॥ पूर्वार्द्ध (दो पौरुषी) ।। उग्गए सूरे पुरिम8 पच्चक्खामि, चउव्विहं पि आहारं-असणं, पाणं, खाइम, साइमं । अन्नत्थऽणाभोगेणं, सहसागारेणं, पच्छन्नकालेणं, दिसामोहेणं, साहवयणेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं वोसिरामि । । एकासन ।। उग्गए सूरे एगासणं पच्चक्खामि, तिविहं'पि आहारं-असणं, खाइम, साइमं । अन्नत्थऽणाभोगेणं, सहसागारेणं, सागारियागारेणं, आकुंचन-पसारणेणं, गुरुअब्भुट्ठाणेणं, पारिट्ठावणियागारेणं', महत्तरागारेणं, सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं वोसिरामि। ।। एकल ठाणा ।। (एक स्थान) उग्गए सूरे एगासणं एगट्ठाणं पच्चक्खामि, तिविह पि आहार-असणं, खाइम, साइमं । अन्नत्थऽणाभोगेणं, सहसागारेणं, सागारियागारेणं, गुरुअब्भुट्ठाणेणं, पारिट्ठावणियागारेणं, महत्तरागारेणं सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं वोसिरामि। ॥आयंबिल ॥ उग्गए सूरे आयंबिलं पच्चक्खामि, अन्नत्थऽणाभोगेणं, सहसागारेणं, लेवालेवेणं, उक्खित्तविवेगेणं, गिहिसंसट्टेणं, पारिट्ठावणियागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं वोसिरामि । ॥उपवास ।। उग्गए सूरे अभत्तटुं पच्चक्खामि, तिविहं- पि आहार-असणं, खाइम, साइमं । अन्नत्थऽणाभोगेणं, सहसागारेणं, पारिट्ठावणियागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं वोसिरामि । 1. यदि चौविहार करना हो तो 'चउन्विह' कह कर असणं' के बाद पाणं' भी कहना चाहिए। 2. यह आगार साधुओं के लिए है। 3. बेला के लिए छठें भत्तं, तेले के लिए अट्ठ भत्तं, चोले के लिए दसमं भत्तं, पाँच के लिए दुवादसं भत्तं, छ: के लिए चोदसं भत्तं इस प्रकार आगे एक एक दिन के बढ़ने पर दो-दो भत्त बढ़ा देने चाहिए या जितने उपवास के पच्चक्खाण करना हो उसके दुगने कर दो जोड़ कर उतने भत्तं बोलने चाहिए। 4. यदि चौविहार करना हो तो 'चउब्विह' कह कर 'असणं' के बाद पाणं' भी कहना चाहिए।
SR No.034358
Book TitleAntgada Dasanga Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimalji Aacharya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size2 MB
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