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प्रश्नोत्तर]
269 } विहल कुमार ने नम्रता से उत्तर दिया कि अगर आप मुझको राज्य का हिस्सा देवें तो हम इनको आपको दे सकते हैं। राजा कोणिक ने राज्य का बँटवारा करने से इन्कार कर दिया, और बलपूर्वक लेना चाहा।
हल, विहल कुमार को इस रहस्य को मालुम होने पर अपने परिवार, सेना, कोष, हार और हाथी सहित चुपचाप वे अपने नाना चेड़ा राजा के पास चले गये । कोणिक को विहल कुमार के चम्पा से चले जाने की वार्ता ज्ञात होने पर अपने नाना राजा चेड़ा को हार, हाथी सहित हल, विहल कुमार को लौटाने के लिये सन्देश भेजा । चेड़ा राजा ने जवाब दिया कि वे उसकी बात तब मानने को सहमत हैं, जब वह हल, विहल कुमार को अपना आधा राज्य दे देवें।
इस शर्त को अमान्य करके राजा कोणिक ने चेड़ा राजा पर हमला कर दिया। कोणिक नृप के साथ उसके दस विमाता पुत्र भाई कालिकुमार आदि सेनापति के रूप में युद्ध मैदान में आये । वे दसों सेनापति चेड़ा राजा के बाणों से काल के ग्रास हो गये।
इस बीच भगवान महावीर का चम्पानगरी में समवशरण हुआ । काली आदि दसों ही महारानियों के प्रश्न करने पर कि वे अपने पुत्रों का युद्ध से लौटने पर मुँह देख सकेगी या नहीं? प्रभु ने उनके युद्ध में काम आने की बात फरमायी । इस पर वे संसार की असारता को समझकर दीक्षित हो गई। -विशेष वर्णन 'निरयावलिया सूत्र' में देखा जा सकता है।