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[अंतगडदसासूत्र
परिशिष्ट 6
भजन
देवकी रानी का झूरणा
इम झूरे देवकी राणी, या तो पुत्र बिना बिलखाणी रे ।।टेर ।। म्हें तो सातों नन्दन जाया, पिण एक न गोद खिलाया रे ।। 1 ।। घर पालणों नहीं बँधायो, नहीं मधुर हालरियो गायो रे ।। 2 ।। घुघरा चूखनी न बसाई, झूमर पिण नाहिं बँधाइ रे ।। 3 ।। नहीं गहणा कपड़ा पहिनाया, नहीं अँगल्या टोपी सिवाया रे ।।4 ।। नहीं काजल आँख लगायो, नहीं स्नान करी ने जिमायो रे ।। 5 ।। नहीं गले दामण दीधा, वलि चाँद-सूरज नहीं कीधा रे ।। 6 ।। नही स्तन-पय-पान करायो, रूठा ने नहीं मनायो रे ।।7 ।। म्हें तो कडिया नाहिं उठायो, नाहिं अंगुली पकड़ चलायो रे ।।8 ।। घू-घू कही नाहिं डरायो, नहीं गुद गुल्या पाड़ हँसायो रे ।।9 ।। नहीं मुख पे चूम्बा दीधा, नहीं हरष वारणा लीधा रे ।। 10 ।। नहीं चक्री भँवरा मँगाया, नहीं गुलिया गेंद बसाया रे ।। 11 ।। म्हे जन्म तणा दुःख देख्या, गया निफल जन्म अलेख्या रे ।। 12 ।। मैं अभागण पुण्य न कीधा, तिण थी सुत बिछड़ा लीधारे ।।13 ।। गले बे हाथ नजर है धरती, आँखें आँसू भर झरती रे ।। 14 ।। पग वन्दन किसन पधारे, माँजी ने उदास निहारे रे ।। 15 ।। कहे अमीरिख किम दुःख पावो, माताजी मुझे फरमावो रे ।। 16 ।।
गजसुकुमाल मुनि (तर्ज-एवन्ता मुनिवर, नाव तिराई......) वरज्या नहीं रहवे, दीक्षा लेवे रे, गजसुकु माल जी ।।टेर ।। काया होकर आज्ञा दीधी, मात-तात अरु भाई। जिम सुख हो तिम करो लालजी, हर्षे, कुँवर मन माँई जी... ||1 ।। दोय लाख रा ओघा पातरा, एक लाख है नाई। कृष्ण महाराज भण्डारी को, दीना हुक्म सुनाई जी....... ।। 2 ।। स्नान मंजन कर शीघ्र कुँवर जी, बैठे शिविका माँई । मध्य बाजाराँ चली सवारी, आये नन्दन वन माँई जी....... ।। 3 ।।